किराना सामान पहुंचाने वाली कंपनी है Zepto ने बताया है कि उसने शुक्रवार को $665 मिलियन (₹5,560 करोड़ रुपये से ज्यादा) जुटाए हैं। इससे कंपनी की कीमत (valuation) दोगुनी होकर $3.6 बिलियन (₹29,160 करोड़ रुपये से ज्यादा) हो गई है। क्विक कॉमर्स को दी जाने वाली ये इस साल की सबसे बड़ी फंडिंग में से एक मानी जा रही है।
इस फंडिंग राउंड में पुराने पार्टनर स्टेपस्टोन ग्रुप, नेक्सस वेंचर पार्टनर्स, ग्लेड ब्रूक कैपिटल, गुडवाटर और लची ग्रूम ने फिर से पैसा लगाया है। साथ ही, एवेनिर ग्रोथ, लाइट्सपीड वेंचर पार्टनर्स और अवरा जैसे नए निवेशक भी शामिल हुए हैं।
इस फंडिंग को जुटाने की वजह ये है कि Zepto 12-15 महीनों में शेयर बाजार में लिस्ट होने की तैयारी कर रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि शेयर बाजार में जाने से पहले मुनाफे में आ जाए।
Zepto के को-फाउंडर और CEO आदित पालिचा का कहना है कि उनके पास पहले से ही काफी पैसा है, लेकिन ये नई फंडिंग शेयर बाजार में जाने से पहले उनकी तैयारी को और मजबूत करेगी। इस फंडिंग से वो एक बड़ा और मजबूत IPO लॉन्च कर पाएंगे।
अच्छी बात ये है कि Zepto का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल उनकी बिक्री (GMV) दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है, जो अब $1 बिलियन (₹834 करोड़ रुपये से ज्यादा) से भी ज्यादा हो चुकी है। साथ ही, मई 2024 तक उनके 75% स्टोर मुनाफा कमाने लगे हैं। पहले किसी भी स्टोर को मुनाफे में आने में 23 महीने लगते थे, लेकिन अब ये सिर्फ 6 महीने में हो रहा है।
जल्दी मुनाफा कमाने वाले Zepto के स्टोर्स की वजह से कंपनी तेजी से तरक्की कर रही है। इतना ही नहीं, पूरी कंपनी भी जल्दी ही मुनाफे में आने का लक्ष्य रखती है। Zepto के बॉस आदित पालिचा का कहना है कि कंपनी के खर्चे कम रखने पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। अभी 350 दुकानें हैं, जिन्हें बढ़ाकर 700 करने की तैयारी है।
पहले से मुनाफा कमाने वाली दुकानों से मिली कमाई को वापस कंपनी में लगाया जाएगा ताकि और भी ज्यादा तरक्की हो सके। अभी Zepto सिर्फ ऑनलाइन ऑर्डर पूरे करने के लिए इस्तेमाल होने वाले 350 खास तरह के स्टोर (डार्क स्टोर्स) भारत के 10 बड़े शहरों में चला रही है। कंपनी की योजना अब 10 और शहरों में अपना कारोबार फैलाने की है।
10 महीने के अंदर ये कंपनी के लिए दूसरी बड़ी फंडिंग है। पिछले साल अगस्त में Zepto ने $1.4 बिलियन (₹11,660 करोड़ रुपये से ज्यादा) की वैल्यूएशन पर $235 मिलियन (₹1,947 करोड़ रुपये से ज्यादा) जुटाए थे, इसी के साथ कंपनी यूनिकॉर्न बन गई थी।
बता दें, यूनिकॉर्न उस कंपनी को कहते हैं जिसकी कीमत $1 बिलियन (₹834 करोड़ रुपये से ज्यादा) से ज्यादा हो। उस फंडिंग में स्टेपस्टोन ग्रुप नाम की कंपनी ने अहम भूमिका निभाई थी। ये ग्रुप अमेरिका के बाल्टिमोर शहर में स्थित है और इनका काम कंपनियों में पैसा लगाना होता है।
अगर थोड़ा पीछे जाएं तो अक्टूबर 2021 में Zepto ने $60 मिलियन (₹490 करोड़ रुपये से ज्यादा) जुटाए थे। उसी साल दिसंबर में Zepto को Y Combinator नाम की कंपनी से भी समर्थन मिला था। इसके बाद मई 2022 में Zepto ने $900 मिलियन (₹7466 करोड़ रुपये से ज्यादा) की वैल्यूएशन पर $100 मिलियन (₹834 करोड़ रुपये से ज्यादा) और जुटाए थे।
Zepto के लिए ये फंडिंग बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। कंपनी अब ग्राहकों के अनुभव को 10 गुना बेहतर बनाने की योजना बना रही है। इसके लिए वो नए सामान बेचने जैसे कदम उठाएंगी और Zepto पास जैसी सुविधाओं को भी और बेहतर बनाएंगी। इन सब कामों को करने के लिए Zepto कई तरह के योग्य लोगों को नौकरी पर रखना चाहती है, जैसे इंजीनियरिंग, प्रोडक्ट, ग्रोथ, फाइनेंस, ऑपरेशंस, और कैटेगरी मैनेजमेंट।
Zepto को ये फंडिंग ऐसे वक्त मिली है जब भारतीय स्टार्टअप्स को मिलने वाली रकम कम हो गई थी। ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के पहले पांच महीनों में स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग $3.9 बिलियन (₹32,51 करोड़ रुपये से ज्यादा) ही रही, हालांकि ये पिछले सालों की तरह बहुत ज्यादा कम नहीं हुई है।
Zepto सामान 10 मिनट में पहुंचाने वाली कंपनी है। इसमें उन्हें कई दूसरी कंपनियों से मुकाबला करना पड़ता है, जैसे Zomato की Blinkit, Swiggy की Instamart और Tata की Big Basket। अभी तक Blinkit सबसे आगे है, उनके पास करीब 40% मार्केट शेयर है।
मगर मुंबई वाली कंपनी Zepto भी तेजी से तरक्की कर रही है। मार्च 2022 में उनका मार्केट शेयर 15% था, जो जनवरी 2024 तक बढ़कर 22% हो गया है (ये जानकारी HSBC Global की एक रिपोर्ट से मिली है)। वहीं, Swiggy की Instamart थोड़ी पीछे छूट रही है, उनका मार्केट शेयर 52% से घटकर 32% हो गया है।
अच्छी बात ये है कि Zepto की कमाई भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। पिछले साल के मुकाबले इस साल उनकी कमाई 14 गुना ज्यादा हो गई है, यानी ₹140.7 करोड़ से बढ़कर ₹2,024 करोड़ हो गई है।
हालांकि, खर्च भी काफी बढ़ गया है, जिसकी वजह से कंपनी का घाटा भी 3 गुना ज्यादा हो गया है। पिछले साल ₹390.3 करोड़ का घाटा था, जो इस साल बढ़कर ₹1,272 करोड़ हो गया है (ये जानकारी कंपनी ने सरकारी विभाग मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स को दी है)।