दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन ने इस हफ्ते कंपनी के प्रशासक के खिलाफ एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है और ट्रिब्यूनल से अनुरोध किया है कि वह प्रशासक व लेनदारों की समिति को उस वित्तीय पैकेज पर विचार करने का निर्देश दे जो प्रबंधन ने आरबीआई के 7 जून के परिपत्र के मुताबिक तैयार किया था। साथ ही जरूरी हो तो उस पर चर्चा व संशोधन भी किया जा सकता है।
वधावन ने ट्रिब्यूनल से कहा है कि कंपनी के लिए मिली बोली पर उन्हें लेनदारों की समिति के साथ सहयोग की अनुमति दी जाए। साथ ही लंबित सुनवाई व आवेदन के अंतिम निपटान तक वधावन ने डीएचएफएल के लिए मिली बोली पर विचार करना टालने की मांग की है। साथ ही उन्होंंने ट्रिब्यूनल से यह भी कहा है कि पूर्व प्रबंधन की तरफ से पेश समाधान योजना को अन्य समाधान आवेदकों की बोली के साथ ट्रिब्यूनल की तरफ से नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञ के सामने रखा जाए ताकि स्वतंत्र विशेषज्ञ सभी हितधारकों के हित को ध्यान में रखते हुए सबसे उपयुक्त योजना पर अपनी राय दे सके।
वधावन का मानना है कि डीएचएफएल के लिए बोली लगाने वाले आवेदक बिना किसी निवेश के कंपनी का अधिग्रहण करना चाहते हैं, वहीं उनकी पेशकश में डीएचएफएल के विभिन्न लेनदारों के बकाए में भारी कटौती की बात भी है।
आवेदन से पहले वधावन ने प्रशासक को पत्र लिखकर उन परिसंपत्तियों की वास्तविक कीमत पर ध्यान आकर्षित किया था, जिनके लिए बोली मंगाई जा सकती है। प्रशासक को लिखे दूसरे पत्र में वधावन ने कहा था कि डीएचएफएल के लिए मिली बोली कंपनी व उसके हितधारकों के लिए व्यावहारिक नहीं है। वधावन का आरोप है कि डीएचएफएल की नकदी हर महीने बढ़ रही है और उपलब्ध नकदी भंडार 12,000 करोड़ रुपये के ऊपर बोलीदाताओं की तरफ से अग्रिम भुगतान इस नकदी रिजर्व से भी कम हो रहा है, जब कंपनी बोलीदाताओं को सौंपी जाएगी।
जुलाई 2019 में डीएचएफएल के लेनदारों ने आरबीआई के 7 जून के परिपत्र के मुताबिक इंटर क्रेडिटर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। आवेदन में वधावन ने कहा है कि समाधान को वास्तव में सैद्धांतिक तौर पर सबी बैंकों व नैशनल हाउसिंग बैंक ने मंजूरी दे दी है। इस बीच, डीएचएफएल के लेनदार एक बार फिर बोली मंगा सकते हैं ताकि कंपनी के अधिग्रहण के लिए बोलीदाताओं को अंतिम मौका मिल सके।
डीएचएफएल का नुकसान 2,122.65 करोड़ रुपये
कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के दायरे वाली दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) का शुद्ध नुकसान सितंबर तिमाही में 2,122.65 करोड़ ररुपये रहा। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में डीएचएफएल का शुद्ध नुकसान 6,750.35 करोड़ रुपये रहा था।
हालांकि इससे पहले की तिमाही में कंपनी ने 70 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था। सितंबर तिमाही में कुल आय 4.33 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 2,205.90 करोड़ रुपये रही, जो पहले 2,114.17 करोड़ रुपये रही थी। कंपनी की कुल आय पहली तिमाही में 2,328.86 करोड़ रुपये रही थी। कंपनी की परिचालन आय दूसरी तिमाही में 2,204.81 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 2,106.74 करोड़ रुपये थी। फेयर वैल्यू पर कंपनी का शुद्ध नुकसान सालाना आधार पर तेजी से बढ़कर दूसरी तिमाही में 3,354.39 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1,188.91 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनी के 29 फीसदी खाताधारकों ने अगस्त 2020 तक मोरेटोरियम का लाभ लिया, लेकिन मोरेटोरियम समाप्त होने के बाद पहले महीने सितंबर में 76 फीसदी ग्राहकों से मासिक किस्त का संग्रह हुआ। बीएस
