वोडाफोन आइडिया (Vi) को 25,000 करोड़ रुपये के डेट फंडिंग प्लान में देरी के कारण बड़ा झटका लगा है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) बकाया को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद संकट और बढ़ गया है।
AGR बकाया ने बढ़ाई वित्तीय चुनौती
कंपनी पर AGR बकाया के रूप में 70,320 करोड़ रुपये का भारी कर्ज है। सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने AGR बकाया की दोबारा गणना की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। इससे कंपनी को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने की उम्मीदों पर बड़ा झटका लगा।
भविष्य में भारी वित्तीय दबाव की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार जल्द कदम उठाकर Vi की कुछ बकाया राशि को इक्विटी में बदल सकती है।
कंपनी को मार्च 2026 तक सरकार को 29,000 करोड़ रुपये और मार्च 2027 तक 43,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। यह भुगतान सितंबर 2025 में AGR बकाया पर दिए गए स्थगन (मोराटोरियम) की समाप्ति के बाद शुरू होगा।
नवंबर तक फंड जुटाने की योजना अधर में
Vi ने नवंबर के अंत तक जरूरी फंड जुटाने की उम्मीद जताई थी, लेकिन AGR याचिका खारिज होने के बाद यह प्रक्रिया अब और धीमी हो सकती है। बढ़ते कर्ज और रिलायंस जियो व भारती एयरटेल जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वियों के कारण कंपनी के लिए स्थिति और मुश्किल हो गई है।
सरकार और अन्य सह-मालिकों की भूमिका
सरकार, जिसके पास Vi में 23.15% हिस्सेदारी है, कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभा रही है। आदित्य बिड़ला ग्रुप (14.76%) और वोडाफोन ग्रुप (22.56%) भी इसके सह-मालिक हैं।
4जी और 5जी विस्तार की योजना पर असर
कंपनी को अगले तीन सालों में 50,000-55,000 करोड़ रुपये की पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) योजना को पूरा करना है। इसका उद्देश्य 4जी सेवाओं का विस्तार और प्राथमिक बाजारों में 5जी सेवाओं की शुरुआत करना है। लेकिन फंडिंग में देरी से इस योजना पर सवाल उठ रहे हैं।
AGR राहत और बैंक गारंटी पर स्पष्टता जरूरी
Vi के सीईओ अक्षय मूंदड़ा ने कहा कि बैंक सरकार से AGR बकाया पर राहत और बैंक गारंटी (BG) माफ करने को लेकर स्पष्टता मांग रहे हैं। जब तक इन पर स्थिति साफ नहीं होती, बैंक कर्ज देने से हिचक रहे हैं।
कर्ज को इक्विटी में बदलने की योजना
कंपनी नकदी की कमी को पूरा करने के लिए सरकार के साथ कर्ज को इक्विटी में बदलने (डेब्ट-टू-इक्विटी कन्वर्जन) की योजना बना रही है। इसके अलावा, कंपनी 2022 से पहले खरीदे गए स्पेक्ट्रम पर बैंक गारंटी की शर्त हटाने की भी मांग कर रही है। अगर यह मांग मानी जाती है, तो कंपनी को अगले कुछ महीनों में 24,746 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जुटाने के दबाव से राहत मिल सकती है।