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ऐंटीबायोटिक प्रतिरोध का तोड़ तैयार करेगी Venus Remedies, नई रिसर्च की खबर के बाद चढ़ा कंपनी का शेयर

नई दवा विकसित करने की खबर से वीनस रेमेडीज का शेयर चढ़ गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर आज यह शेयर 1.34 फीसदी चढ़कर 310.55 रुपये पर बंद हुआ।

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सोहिनी दास   
Last Updated- February 25, 2025 | 10:59 PM IST

वीनस रेमेडीज ब्रिटेन की इन्फेक्स थेराप्यूटिक्स के साथ मिलकर मेट-एक्स दवा या मेटलो-बीटा-लैक्टमेज (एमबीएल) अवरोधक तैयार कर रही है। यह मेरोपेनम जैसी बीटा लैक्टम ऐंटीबायोटिक दवाओं को बेअसर करने वाला प्रभाव कम करने में मदद करती है।

रोगाणुनाशी दवाओं का प्रतिरोध (एएमआर) भारत सहित दुनिया भर में गंभीर समस्या बन गया  है। एमबीएल इनहिबिटर ऐसी दवा है जो बीटा-लैक्टम ऐंटीबायोटिक दवाओं को बेअसर करने वाले जीवाणु एंजाइम एमबीएल को रोकती है। एमबीएल जन स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि वह कई ऐंटीबायोटिक दवाओं का असर खत्म कर देता है। देश में अभी कोई स्वीकृत एमबीएल इनहिबिटर नहीं है और चिकित्सा के क्षेत्र में इसकी बहुत जरूरत है। एएमआर वह स्थिति होती है, जब जीवाणु, विषाणु, फफूंद और परजीवी पर रोगाणुनाशी दवाओं का असर बंद हो जाता है।

नई दवा विकसित करने की खबर से वीनस रेमेडीज का शेयर चढ़ गया। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर आज यह शेयर 1.34 फीसदी चढ़कर 310.55 रुपये पर बंद हुआ।

मेट-एक्स इन्फेक्स थेराप्यूटिक्स का प्रमुख एमबीएल-इनहिबिटर है, जो ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया को निशाना बनाता है। ये रोगाणु एमबीएल एंजाइम बनाते हैं, जो मेरोपेनम जैसे बीटा-लैक्टम ऐंटीबायोटिक्स को निष्क्रिय बना देता है। मेट-एक्स इस स्थिति से लड़ता है और ऐंटीबायोटिक को सक्रिय बनाता है। वीनस रेमेडीज भारत में मेट-एक्स दवा का क्लिनिकल विकास, पंजीकरण तथा मार्केटिंग करेगी।

शुरुआती दौर में दवा प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया से निपटने के लिए मेट-एक्स को मेरोपेनम के साथ मिलाने पर ध्यान दिया जाएगा और भारत में इसे बेचने का अधिकार केवल वीनस रेमेडीज के पास होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ऐंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस रिसर्च ऐंड सर्विलांस नेटवर्क वार्षिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अत्यधिक प्राथमिकता वाले रोगाणुओं में मेरोपेनम का प्रतिरोध 62 से 87 फीसदी तक है, जिसमें से 50 फीसदी सीधे एमबीएल के कारण है। के न्यूमोनी और ए बौमनाई ऐसे ही रोगाणु हैं।

वीनस रेमेडीज में ग्लोबल क्रिटिकल केयर के प्रेसिडेंट और वीनस मेडिकल रिसर्च सेंटर के सीईओ सारांश चौधरी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि दुनिया भर में कार्बापेनम दवा के प्रतिरोध के कारण लगभग 2.50 लाख मौतें होती हैं। मेरोपेनम उसी कार्बापेनम का सबसेट है और भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसलिए मान सकते हैं कि इनमें से करीब 20 फीसदी मौतें भारत में होती हैं। उन्होंने कहा, ‘सही आंकड़ा शायद कुछ ज्यादा होगा क्योंकि भारत में मेरोपेनम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दवाओं में है और डॉक्टरों के पर्चों में सबसे ज्यादा लिखी जाने वाली 10 दवाओं में शामिल है।’ 

अनुमान है कि 2050 तक भारत में ही एएमआर के कारण 20 लाख मौतें होंगी और दुनिया भर में मौतों का आंकड़ा 1 करोड़ तक पहुंच सकता है।

समझौते की शर्तों के मुताबिक वीनस रेमेडीज भारत में स्वस्थ वॉलंटियरों पर पहले चरण का परीक्षण करेगी, जिसमें मेरोपेनम के साथ मेट-एक्स को मिलाकर देखा जाएगा। पहले चरण के नतीजे सफल होने पर दूसरे और तीसरे चरण का परीक्षण किया जाएगा, जिसमें अस्पताल भी शामिल होंगे। इसमें दवा प्रतिरोध के कारण मूत्र नलिका में होने वाले गंभीर संक्रमण पर यह दवा आजमाई जाएगी। कंपनी ने दावा किया कि भारत में परीक्षण के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाएगा और सब कुछ एफडीए, ईएमए और एमएचआरए के नियमों के अनुरूप होगा। इससे मेट-एक्स के लिए आगे के विकास और वैश्विक मार्केटिंग में भी मदद मिलेगी। चौधरी ने कहा कि वे अगले साल पहले चरण का परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहे हैं, जिसे पूरा होने में करीब एक साल लग जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हम 2030 के आसपास उत्पाद पेश कर पाएंगे या नियामक से मंजूरी की अर्जी डाल पाएंगे। दवा 2031-32 तक बाजार में आ सकती है।’

इन्फेक्स थेराप्यूटिक्स के सीईओ पीटर जैक्सन ने कहा, ‘ऐंटीबायोटिक दवाओं में वीनस रेमेडीज की महारत का फायदा उठाकर हम मेट-एक्स को अपने दूसरे क्लिनिकल-स्टेज ड्रग प्रोग्राम के तौर पर बढ़ा सकते हैं। ये परीक्षण अंतरराष्ट्रीय मानक के होंगे, जिससे ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोप और दूसरे बाजारों में नियामकीय मंजूरी पाना आसान होगा। क्लिनिकल परीक्षण से पहले के अध्ययनों में मेट-एक्स काफी असरदार रहा है और यह ग्राम-नेगेटिव एमबीएल-प्रतिरोधी संक्रमण से पीड़ित रोगियों के उपचार में कारगर हो सकता है।’ वीनस रेमेडीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पवन चौधरी ने कहा, ‘मेट-एक्स का लाइसेंस दवा प्रतिरोधी संक्रमण के लिए क्रांतिकारी समाधान प्रदान करने की दिशा में बड़ा कदम है। हमारा उद्देश्य एमबीएल-उत्पादक रोगाणुओं के खिलाफ प्रभावी समाधान विकसित करना, स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करना और क्रिटिकल केयर में परिवर्तनकारी उपचार तथा नवाचार देते रहना है।’

First Published : February 25, 2025 | 10:50 PM IST