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उत्तर प्रदेश सरकार लगाएगी छोटे उद्योगों की नैया पार

Last Updated- December 09, 2022 | 9:20 PM IST

मौजूदा आर्थिक मंदी के कारण उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले उद्योगों (एसएमई) के सामने भी परेशानी खड़ी हो गई है। अब राज्य सरकार इन उद्योगों को सहारा देने की कोशिश करने की तैयारी में है।


दरअसल, सीमित आर्थिक संसाधनों और अन्य कारणों से भी इन उद्योगों के पास काफी सीमित विकल्प हैं, ऐसे में अब इनको सरकारी मदद की आस है। प्रदेश में कुल औद्योगिक उत्पादन का तकरीबन 60 फीसदी एसएमई के जरिये आता है।

मंदी ने उन एसएमई को ज्यादा प्रभावित किया है जो अपने तैयार माल का निर्यात अमेरिका और यूरोपीय देशों को करते रहे हैं। उत्तर प्रदेश से जिन वस्तुओं का प्रमुख रूप से निर्यात होता है, उनमें चमड़े का सामान, कालीन, कपड़ा, कृषि उत्पाद, पीतल की वस्तुएं और ऑटो पुर्जे शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास आयुक्त वी. के. शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की एसएमई इकाइयों की मुश्किलों से वाकिफ है। इनके हित में जल्द ही राज्य सरकार कदम उठाएगी।’

सूबे में तकरीबन एक लाख एसएमई इकाइयां हैं और उनकी संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश का देश में चौथा स्थान है। राज्य सरकार मंदी से निपटने में एसएमई की मदद के तहत विकास का क्लस्टर मॉडल अपना रही है।

सरकार की नीति के मुताबिक खास क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा जो किसी विशेष उद्योग से अपनी पहचान रखते हों।

छोटी एवं मझोली इकाइयों, कपड़ा और निर्यात संवर्धन के प्रमुख सचिव, वी. राजगोपालन का कहना है, ‘हम राज्य में मौजूदा क्लस्टर को और मजबूत करने पर तो ध्यान दे ही रहे हैं साथ ही नये क्लस्टर बनाने के बारे में भी सोच रहे हैं।’

राज्य में कई शहर कुछ खास सामान बनाने के लिए जाने जाते हैं। इनमें से भी मेरठ, खेल का सामान, शिकोहाबादफिरोजाबाद कांच का सामान, आगरा चमड़े की चप्पल, लखनऊ चीनी मिट्टी के बर्तन और उस पर नक्काशी, अलीगढ़ ताले, भदोही कालीन, और मुरादाबाद पीतल का सामान बनाने के लिए विख्यात है।

राज्य सरकार के अलावा लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन (एलएमए) भी इस मुश्किल हालात में एसएमई की सहायता के लिए आगे आई है। एलएमए, इन एसएमई इकाइयों के लिए एक विशेष सम्मेलन आयोजित कराने की तैयारी कर रही है।

एलएमए के अध्यक्ष जयंत कृष्णा कहते हैं, ‘हम इसके लिए ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) से भी बातचीत कर रहे हैं ताकि इन लोगों को बेहतर सुझाव मिल सकें।’

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के कार्यकारी निदेशक डी. एस. वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार उद्योगों को लेकर गंभीर नहीं है। इसमें भी खासतौर से एसएमई को सरकार बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है।

वह कहते हैं, ‘सरकार ने पिछले साल वैट शुरू करके कई उद्योगों पर एंट्री टैक्स ही लगा दिया। इससे सरकार के इरादे जाहिर होते हैं।’

First Published - January 12, 2009 | 9:51 PM IST

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