सोनी नेटवर्क्स के साथ विलय का सौदा टूटने के बाद विश्लेषकों ने ज़ी एंटरटेनमेंट एंटप्राइजेज के शेयर के लिए लक्षित कीमत में कटौती की है और शेयर की रेटिंग घटा दी है। सीएलएसए ने शेयर को डाउनग्रेड कर इसकी रेटिंग बिकवाली कर दी है और लक्षित कीमत 300 रुपये से घटाकर 198 रुपये कर दिया है।
एक नोट में ईलारा ने कहा है कि यह शेयर 130 रुपये के निचले स्तर तक आ सकता है, वहीं नुवामा इंस्टिट्यूशन इक्विटीज का मानना है कि यह शेयर 200 रुपये के नीचे फिसल सकता है। एनएसई पर ज़ी का शेयर 231 रुपये पर बंद हुआ।
चूंकि ज़ी का शेयर डेरिवेटिव में शामिल है, लिहाजा इस शेयर के लिए कोई कीमत दायरा नहीं है और विश्लेषकों का कहना है कि यह मंगलवार को काफी नीचे खुल सकता है।
सोमवार को ज़ी को सोनी की तरफ से विलय करार (21 दिसंबर, 2021) समाप्त करने का नोटिस मिला और उसमें विलय सहयोग करार (एमसीए) के कथित उल्लंघन के लिए करार समाप्ति शुल्क के तौर पर 9 करोड़ डॉलर की मांग की गई है। इससे ज़ी ने इनकार किया है।
सीएलएसए की विश्लेषक दीप्ति चतुर्वेदी की अगुआई में विश्लेषकों के नोट में कहा गया है, विलय सौदा समाप्त होने के साथ ज़ी का मूल्यांकन घटकर 12 गुना पीई गुणक (अगस्त 2021) के स्तर पर आने की संभावना है, जो विलय की घोषणा के पहले देखा गया था।
साल 2019 में प्रवर्तक की तरफ से शेयर गिरवी रखने और कारोबार में गिरावट के बाद इस शेयर की रेटिंग में बदलाव हुआ था। साथ ही रिलायंस व डिज्नी स्टार के विलय की खबर से प्रतिस्पर्धा और गहरा सकती है।
ईलारा कैपिटल के करण तौरानी ने एक नोट में कहा है, विलय सौदा टूटने के साथ ज़ी के लिए लक्षित कीमत 130 से 170 रुपये के दायरे में हो सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में ज़ी के राजस्व व लाभ में वृद्धि सुस्त रही है और कंपनी ने मार्जिन में गिरावट देखी है लेकिन सोनी के साथ विलय मूल्यांकन में इजाफे के लिहाज से अहम था।
ईलारा ने नोट में कहा है, हमारा मानना है कि ज़ी मूल्यांकन गुणक में काफी गिरावट देकेगी और यह एक साल आगे की आय के कम से कम 10 गुना होगा, जिसकी वजह विलय सौदा टूटना है।
ज़ी के पास संबावित तौर पर पूरी तरह से बिखरे हुए बाजार मेंओटीटी पेशकश में इजाफे की क्षमता नहीं होगी, साथ ही कम लाभ व एबिटा मार्जिन 14 फीसदी के पास आ जाएगा।
इसके अलावा इन्वेंट्री को बट्टे खाते में डालने या संबंधित पक्षकार लेनदारों से जुड़े मामले या डिज्नी संग खेल करार का पालन न करने का भी असर पड़ेगा।
नुवामा के अवनीश रॉय ने कहा, अल्पावधि में यह शेयर दबाव में रहेगा और यह विलय पूर्व के 12-13 गुना पीई गुणक पर लौट आएगा। नए साझेदार को लेकर अनिश्चितता, सोनी के साथ कानूनी संघर्ष और आरआईएल के वायकॉम व डिज्नी के बीच संभावित सौदे को देखते हुए जोखिम काफी ज्यादा रहने वाला है।
बाजार संस्थागत शेयरधारकों के कदमों का इंतजार कर रहा है क्योंकि ज़ी में प्रवर्तक हिस्सेदारी महज 4 फीसदी है। यह देखना बाकी है कि कंपनी के बड़े संस्थागत हिस्सेदार अपने निवेश की कीमत गिरने से रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं।