विमानन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अधिग्रहणों के बाद अब कंपनियों की नजर इसी क्षेत्र से जुड़े एक छोटे से सेक्टर पर है। यह सेक्टर है- ऑन लाइन ट्रैवल पोर्टल एजेंसियों का । विमानन कंपनियों के बाद अब इस क्षेत्र में विलयों और अधिग्रहणों का दौर शुरू होने वाला है। ऑन लाइन पोर्टलों का यह बाजार विमानन क्षेत्र के मुकाबले तीन गुना तेजी से बढ़ रहा है।
क्लीयरट्रिप, यात्रा और मेक माई ट्रिप डाट कॉम जैसे बड़े ऑन लाइन पोर्टल (ओटीए) अब छोटे ऑन लाइन और ऑफ लाइन पोर्टलों की तरफ निगाह गढ़ाए हुए है। इसके साथ ही अब इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियां तकनीक और विपणन कंपनियों के अधिग्रहण की तरफ कदम बढ़ा रही हैं। इससे इन कंपनियों की परिचालन और बाजार में हिस्सेदारी और ज्यादा बढ़ेगी और मजबूत होगी। अभी ऑन लाइन पोर्टल कंपनियों की यात्राओं के टिकट कारोबार में मात्र 10 फीसदी की हिस्सेदारी है। ऑन लाइन कंपनियां हर साल हवाई, ट्रेन और सड़क यात्राओं के लिए लगभग 8000 करोड़ रुपये के टिकट बेचती हैं।
मुंबई स्थित क्लीयरट्रिप ने भी तीन ऐसी छोटी कंपनियों की तरफ निगाह गढ़ा रखी है। क्लीयरट्रिप के उपाध्यक्ष नोयल स्वेन ने बताया कि कंपनी मुंबई के बाहर स्थित ऐसी तीन कंपनियों के अधिग्रहण के बारे में विचार कर रही है। पर अभी इस बारे में कोई फैसला नही हो पाया है। हम इन कंपनियों में 60 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रहे हैं। हाल ही में कंपनी को महिंद्रा समूह और ड्रैपर फिशर जुवर्टसन के पूंजी उपक्रम से 74 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। इन अधिग्रहणों से क्लीयरट्रिप को बाजार में अपनी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत से बढ़कर 40-45 प्रतिशत होने की आशा है।
पिछले तीन सालों में चार बड़े ट्रैवल पोर्टल यात्रा, क्लीयरट्रिप, मेक माई ट्रिप डॉट कॉम और ट्रैवलगुरू को रिलायंस कैपिटल, टीवी 18, सीकोया कैपिटल और सिऐरा वैन्चर्स जैसी कंपनियों से लगभग 400 करोड़ रुपये की कमाई की है। इसी कमाई का इस्तेमाल अब ये कंपनियां अधिग्रहणों में कर रही हैं। जहां विमानन इंडस्ट्री हर साल 30 प्रतिशत की दर से विकास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ओटीए बाजार लगभग 75 प्रतिशत की दर से हर साल विकास कर रहा है।
