कोविड-19 वैश्विक महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाई गई पाबंदियों के कारण पूंजीगत वस्तु कंपनियों के उत्पादन की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। हालांकि कुछ कंपनियों ने संकट के इस दौर में भी भुगतान हासिल करने में सफल रही हैं। इसके अलावा कुछ ग्राहक निर्धारित समय से पहले बैंक गारंटी जारी कर रहे हैं और कंपनियां भी कम समय की उधारी वाले अनुबंध कर रही हैं।
लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) के मुख्य वित्तीय अधिकारी और पूर्णकालिक निदेशक आर शंकर रमण ने जून तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी करने के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा कि यदि इस कठिन तिमाही में उम्मीद की कोई किरण थी तो वह भुगतान सामंजस्य करने, करार करने और बिलों को मंजूरी कराने की कंपनी की क्षमता थी। पिछले बकाये की वसूली करने में कंपनी काफी सफल रही है।
एलऐंडटी एकमात्र ऐसी कंपनी नहीं है बल्कि तमाम कंपनियों ने पिछली तिमाही के दौरान दमदार नकदी प्रवाह दर्ज की है। एक पूंजीगत वस्तु कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘नकदी प्रवाह पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहा। ग्राहकों, विशेष तौर पर सरकार की ओर से भुगतान में काफी सक्रियता दिखाई गई। जहां तक निजी क्षेत्र के ग्राहकों का सवाल है तो जो अच्छी स्थिति में हैं वे समय पर भुगतान सुनिश्चित कर रहे हैं।’ पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारी ने एक नई प्रवृत्ति की ओर इशारा किया जहां कुछ सरकारी और निजी कंपनियां निर्धारित समय से पहले ही बैंक गारंटी भी जारी कर रही हैं और वे परियोजना के पूरा होने का इंतजार नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘संविदात्मक दायित्वों के लिए उन्हें समय से पहले बैंक गारंटी जारी करने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन कुछ कंपनियां उदारता दिखाते हुए अथवा व्यावहारिक दृष्टिकोण से ऐसा कर रही हैं ताकि आपूर्ति शृंखला करे बरकरार रखा जा सके।’
एबीबी इंडिया जैसी कुछ कंपनियों ने बदलते समय के साथ अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है जिसे एबीबी इंडिया के मुख्य वित्तीय अधिकारी टीके श्रीधर ‘कैश इज एम्परर’ नजरिया करते हैं। इसके अलावा नकदी संग्रह पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कंपनी ने पिछले कुछ महीनों के दौरान प्राथमिकता वाले कार्यों और ग्राहकों की पहचान की है जहां भुगतान तेजी दिख सकती है।
श्रीधर ने कहा, ‘इसके लिए क्रेडिट मूल्यांकन काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हमें अपने संसाधनों को उन क्षेत्रों में लगाने को प्राथमिकता देना होगा जहां बदलती परिस्थितियों और निष्पादन के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है। हमारी परिचालन एवं उत्पादन टीम नए भुगतान कार्यक्रम तैयार कर रही हैं।’
बदलते समय में प्रासंगिक बने रहने के लिए अनुबंधों के नए प्रारूपों पर भी हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।
श्रीधर ने कहा कि फूड एंड बेवरिजेस, फार्मा, रेलवे जैसे क्षेत्रों में मौजूदा दक्षताओं के बदले तेजी से क्षमता विस्तार करने की मांग है। उन्होंने कहा कि कंपनी ऐसे ग्राहकों के साथ नए मॉडल के तहत करार करने में समर्थ है। उन्होंने कहा, ‘यदि कोई नकदी संपन्न ग्राहक परियोजना कार्य में तेजी लाने और कुछ छूट प्राप्त करने के लिए उधारी चक्र को 30 दिनों तक कम करना चाहते हैं तो यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है।’
