नई सरकार से किसी नए वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत को लेकर देश के दोनों प्रमुख औद्योगिक समूहों सीआईआई और फिक्की की राय मेल नहीं खा रही।
इन दोनों संस्थाओं के बीच यह मतभेद ऐसे समय उभरा है, जब निवेश बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए पैकेज की जरूरत पर आम सहमति जैसी स्थिति बनी है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने बताया, ”वित्तीय प्रोत्साहन की जरूरत नहीं है, क्योंकि वित्तीय घाटा पहले से ही काफी ज्यादा है। वैसे आरबीआई को चाहिए कि ब्याज दर में 0.5 फीसदी की कटौती हो।” दूसरी ओर फिक्की महासचिव अमित मित्रा के अनुसार, ”नई सरकार को कर ढांचे को तार्किक बनाना होगा।
अर्थव्यस्था को वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ानी होगी।” मित्रा के मुताबिक, ”यदि आयकर का न्यूनतम स्लैब बढ़ाकर 2.5 से 3 लाख किया जाता है तो प्रशासनिक लागत की बचत होती है। इससे कर संग्रह पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इस आयकर स्लैब से बहुत ज्यादा आमदनी नहीं होती। लेकिन इससे प्रशासनिक लागत की बचत होती है।”
मित्रा ने कॉरपोरेट कर को भी कम करने और निवेश को छोड़ छूट को खत्म करने की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय संकट को देखते हुए मांग बढ़ाने की खातिर केंद्र सरकार पहले ही 3 आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज घोषित कर चुकी है। इस वजह से वित्तीय घाटा 2.5 फीसदी के शुरुआती अनुमान से बढ़कर 6 फीसदी तक चला गया।
सीआईआई और फिक्की की राय अलग-अलग
सीआईआई मांगे ब्याज दर में और कटौती, फिक्की कहे कर ढांचा हो तर्कसंगत
