स्पेक्ट्रम की अगली नीलामी 20 मई से शुरू होगी। निविदा आमंत्रित करने के लिए दूरसंचार विभाग के शुक्रवार को जारी नोटिस के मुताबिक आवेदन करने की अंतिम तिथि 22 अप्रैल है। आठ प्रमुख स्पेक्ट्रम बैंड के लिए लाइव ई-नीलामी अब से 73 दिनों के लिए होगी। दूरसंचार मंत्रालय ने लंबी अवधि के चरणों की सूचना जारी कर दी है।
नोटिस के मुताबिक इसमें बोली लगाने वालों की पूर्व योग्यता की तारीख 6 मई है। बोली लगाने वालों की अंतिम सूची 9 मई को जारी होगी। मॉक नीलामी 13 और 14 मई को होगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8 फरवरी को सभी बैंड में 10,523.15 मेगाहर्ट्ज की नीलामी के लिए 96,317.65 करोड़ रुपये का मूल्य आरक्षित किया था। बीती बिक्री के दौरान नहीं बिके स्पेक्ट्रम की फिर से नीलामी होगी। इस क्रम में 800, 900, 1800, 2100, 2300, 2500, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज की नीलामी होगी। आवाज और डेटा के लिए बड़े स्तर पर स्पेक्ट्रम की बिक्री होगी।
दूरसंचार कंपनियों को फ्रीक्वेंसी के समझौते की 20 वर्ष तक की अवधि के लिए स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का अधिकार होगा। यदि पहले से स्पेक्ट्रम रखने वाला बोलीदाता नीलामी हासिल कर लेता है तो पहले की तिथि के समझौते की समयसीमा पूरी होने के दिन से नए स्पेक्ट्रम की अवधि मानी जाएगी।
यूनिफाइड एक्सेस लाइसेंस (यूएएल) वाली कंपनियां या पात्रता पूरी करने वाली कंपनियां नीलामी में हिस्सा ले सकती हैं। सरकार की जारी सूचना के मुताबिक इस लाइसेंस के तहत तार वाली और बिना तार वाली तकनीकें साथ-साथ काम कर सकती है और वे एकल भी कार्य कर सकती हैं।
बहरहाल, एकीकृत लाइसेंस केवल भारतीय कंपनियों को ही दिया जा सकता है। विदेशी आवेदकों को कंपनी गठित करनी होगी या भारतीय कंपनी का अधिग्रहण करना होगा। विदेशी कंपनियां नीलामी प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा ले सकती हैं और भारतीय कंपनी के जरिये आवेदन कर सकती हैं, जहां वे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी रख सकती हैं। हालांकि भारत की सीमा से लगे देशों के निवेश पर प्रतिबंध कायम हैं।
दूरसंचार कंपनी के क्षेत्र में नए प्रवेश करने वालों के पास लाइसेंस की सेवा शर्तों के अनुसार 100 करोड़ रुपये की नेटवर्थ होनी चाहिए। ऐसे में बोलीकर्ता की जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर सेवा क्षेत्र में बोली लगाने की स्थिति में संबंधित क्षेत्र में 50 करोड़ रुपये की नेटवर्थ भी शामिल है। हालांकि नए कानून के मुताबिक जिस लाइसेंसधारक के पास अभी स्पेक्ट्रम नहीं हैं, उसे नए की तरह माना जाएगा।
नीलामी के लिए एक लाख रुपये का प्रसंस्करण शुल्क देना होगा, जो वापस नहीं होगा। नीलामी में लगाई गई बोलियां 30 सितंबर तक के लिए वैध होंगी।
विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि बीती नीलामी की तरह इस नीलामी में भी उच्च फ्रीक्वेंसी बैंड्स के लिए कम मूल्य की उम्मीद है। इस क्रम में 800 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज को भी सुस्त प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है जबकि पिछली नीलामी में इन मेगाहर्ट्ज के लिए कोई नीलामी नहीं मिली थी।
सरकार ने 1 अगस्त, 2022 को समाप्त हुए पिछले दौर में 72,098 मेगाहर्ट्ज की भी नीलामी की थी। इसमें से 51,236 यानी नीलामी के कुल मेगाहर्ट्ज में 71 फीसदी की नीलामी हो गई थी और इसका 1.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य मिला था। इस अंतिम दौर में अल्ट्रा हाई स्पीड मोबाइल इंटरनेट क्नेक्टिविटी क्षमता वाले 5 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी।