टेलीकॉम

दूरदराज के हर क्षेत्र को सैटकॉम से जोड़ने का लक्ष्य, वंचित इलाकों तक पहुंचेगी सुविधा: सिंधिया

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि देश के गैर-कनेक्टेड इलाकों या डार्क-स्पॉट को भी सैटकॉम के दायरे में लाया जाए

Published by
गुलवीन औलख   
निवेदिता मुखर्जी   
Last Updated- December 16, 2025 | 10:36 PM IST

ऐसे समय में जब सैटेलाइट ब्रॉडबैंड दूरसंचार विभाग में नीति निर्माण के केंद्र में है, देश के दूरदराज के इलाकों को जोड़ना सरकार का एक प्रमुख लक्ष्य बन गया है। हालांकि यह कुछ निजी कंपनियों के रुख के खिलाफ है जो यह संकेत दे रही हैं कि वे शहरों में भी अ​धिक शुल्क पर उपग्रह संचार (सैटकॉम) सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज अपने कार्यालय में बिज़नेस स्टैंडर्ड से खास बातचीत में कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि देश के गैर-कनेक्टेड इलाकों या डार्क-स्पॉट को भी सैटकॉम के दायरे में लाया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उपग्रह संचार सेवाओं पर नीति तैयार करने से पहले उचित जांच-परख की जाएगी।

मं​त्री उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की वै​श्विक उपग्रह फोन सेवा (जीएसपीएस) के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क पर सरकार का क्या रुख है।

फिलहाल संचार मंत्रालय भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के एक प्रस्ताव पर दूरसंचार विभाग की प्रतिक्रिया का आकलन कर रहा है। नियामक ने अपनी सिफारिशों को दोहराते हुए कहा है कि भू-स्थिर कक्षा और गैर-भू-स्थिर कक्षा उपग्रहों के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क सभी कंपनियों के लिए समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 4 फीसदी रखा जाए। नियामक ने कहा है कि बीएसएनएल द्वारा रणनीतिक उद्देश्यों के लिए दी जाने वाली 

वै​श्विक उपग्रह फोन सेवा के लिए शुल्क को 1 फीसदी पर रखना अनुचित और भेदभावपूर्ण होगा क्योंकि मोबाइल उपग्रह सेवा प्रदाताओं के आने से परिदृश्य बदल गया है।

सिंधिया ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘जहां तक एजीआर और नियमों की बात है इनके बारे में टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि इस पर एक अंतिम निर्णय लिया जाएगा। लेकिन मेरा अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि मेरे देश में जो संचार से वंचित क्षेत्र हैं, वे सैटकॉम से जुड़ जाएं। इसलिए जो भी नीति बने, उसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि उन वंचित क्षेत्रों को प्राथमिकता से जोड़ा जाए।’ 

 31 अक्टूबर तक की ट्राई की सबस्क्रिप्शन रिपोर्ट ने यह बताया कि भारत में टेलीघनत्व 86.76 फीसदी है। टेलीघनत्व एक ऐसा पैमाना है जो यह दर्शाता है कि प्रत्येक 100 लोगों पर टेलीफोन कनेक्शनों (वायरलेस या वायरलाइन वाले) की संख्या कितनी है। वायरलेस टेलीघनत्व 83.47 फीसदी है, जबकि वायरलाइन 3.29 फीसदी है। शहरी टेलीघनत्व 134.66 फीसदी है जबकि ग्रामीण टेलीघनत्व 59.72 फीसदी है। ग्रामीण और वायरलाइन टेलीघनत्व के आंकड़े संचार क्षेत्र में उन कमियों को दर्शाते हैं, जिनका जिक्र सिंधिया कर रहे हैं।

सिंधिया ने आगे कहा कि सरकार इस मामले पर ‘गहन विचार-विमर्श’ कर रही है। दूरसंचार विभाग द्वारा ट्राई को भेजे गए संदर्भ और नियामक के जवाब पर लगातार बातचीत बहुत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि ‘कोई भी नीति लाने से पहले उचित सावधानी बरतना जरूरी है क्योंकि आप इसे बार-बार नहीं बदल सकते। यह ठोस, स्पष्ट और अपने लक्ष्यों को हासिल करने सक्षम होनी चाहिए।’ सैटेलाइट आधारित वाणिज्यिक संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन पर ट्राई ने सिफारिशें दे दी हैं। अब सरकार इस बात पर अंतिम निर्णय लेगी कि सैटेलाइट संचार सेवाएं देने वाली कंपनियों को एयरवेव्स के इस्तेमाल के लिए कितना शुल्क देना होगा।

स्पेसएक्स की सैटेलाइट सेवा प्रदाता स्टारलिंक, भारती समूह समर्थित यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो की सैटेलाइट सेवा उद्यम जियो-एसईएस को नियामक मंजूरी मिल गई है और वे वाणिज्यिक सेवाएं शुरू करने के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का इंतजार कर रही हैं।

First Published : December 16, 2025 | 10:36 PM IST