प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
TCS Layoffs 2025: आईटी सेक्टर पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा लगभग 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का निर्णय एआई-आधारित भविष्य की तैयारियों से कम और लाभप्रदता में सुधार लाने की कोशिशों से ज्यादा जुड़ा हुआ है। निकाले गए कर्मचारियों में अधिकांश मध्यम से वरिष्ठ स्तर के प्रबंधक भी शामिल हैं।
हालांकि कंपनी ने भविष्य की तैयारी और उभरती व्यावसायिक जरूरतों को इसका कारण बताया है, लेकिन उद्योग के विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम लागत में कटौती का एक प्रमुख प्रयास है, जिसका उद्देश्य परिचालन मार्जिन को बढ़ाना है। कंपनी का परिचालन मार्जिन निरंतर प्रयासों के बावजूद उसके निर्धारित दायरे से नीचे बना हुआ है।
छंटनी की घोषणा कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक और हैरान करने वाली थी, क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां अनैच्छिक छंटनी से निपटने में हाल के वर्षों से सतर्कता बरतती रही हैं। नैस्कॉम के एक आंकड़े के अनुसार आईटी उद्योग में लगभग 60 लाख लोग काम करते हैं।
टीसीएस का परिचालन मार्जिन पिछली पांच तिमाहियों में 24-25 प्रतिशत के बीच रहा है, जो अभी भी उसके 26-28 प्रतिशत के अपेक्षित स्तर से नीचे है। परिचालन दक्षता बढ़ाने के बावजूद, इसे हासिल करने में उसे काफी संघर्ष करना पड़ा है। वित्त वर्ष 2026 की 30 जून को समाप्त पहली तिमाही में यह 24.5 प्रतिशत रहा, जो एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 20 आधार अंक कम है। इसमें वेतन वृद्धि शामिल नहीं है, जिसे कंपनी ने अप्रैल में अनिश्चित समय के लिए टाल दिया था।
एक अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज रिसर्च फर्म के वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा कि उन्हें टीसीएस के इस फैसले पर हैरानी हुई। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि मुझे लगा था कि मांग वापस आ रही है। यह मार्जिन बढ़ाने के लिए पूरी तरह से लागत कम करने की रणनीति है और एक बार ऐसा हो जाने के बाद वे बाकी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी कर सकते हैं।’
आय नतीजों की घोषणा के बाद मुख्य वित्तीय अधिकारी समीर सेकसरिया ने विश्लेषकों को आगाह किया था कि मांग और क्षमता के बीच अंतर है।
उन्होंने कहा, ‘इस तिमाही में भी, हमने क्षमता में निवेश किया। हमने अपना निवेश जारी रखा है और यही हमारे मार्जिन में दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आप देखें, तो क्षमता बनाम मांग में कमी के बीच का अंतर हमें अतिरिक्त क्षमता या अतिरिक्त क्षमता रखने पर मजबूर करता है, जिससे हमें भविष्य की मांग में मदद मिलेगी।’
कंपनी के लिए ‘एक्सेस कैपेसिटी’ यानी अतिरिक्त क्षमता से मतलब ‘मिड-सीनियर’ और ‘सीनियर टैलेंट’ से है, जिनके पास क्रमशः 9-13 वर्ष और 13-17 वर्ष का अनुभव है। विशेषज्ञ स्टाफिंग फर्म, एक्सफेनो से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि शीर्ष सात भारतीय आईटी कंपनियों में इन दोनों श्रेणियों में लगभग 492,000 लोग कार्यरत हैं। इसकी तुलना में, इंजीनियरिंग कॉलेजों से अभी-अभी निकले इंजीनियरों और लगभग पांच वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियरों की संख्या 486,000 है। लेकिन उनका वेतन मध्यम स्तर की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से कई लोगों को महामारी के चरम, वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के दौरान नियुक्त किया गया था। 31 मार्च, 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में टीसीएस ने स्वयं 1,03,546 लोगों को नियुक्त किया, जबकि शीर्ष पांच कंपनियों ने कुल मिलाकर 2,73,377 लोगों को नियुक्त किया, जो कम से कम छह वर्षों में सबसे अधिक है। तब से नियुक्तियों में गिरावट बनी हुई है।
यह अभी स्पष्ट नहीं है कि छंटनी का कंपनी के मार्जिन पर कितना सकारात्मक असर होगा। टीसीएस ने बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा रविवार को इस संबंध में भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।