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राज्यों के खनन उपकर लगाने के अधिकार का मामला…SC से करेगी गुहार टाटा स्टील

टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी टीवी नरेंद्रन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी पर कोई कर मांग नहीं है।

Last Updated- November 10, 2024 | 10:03 PM IST
Tata Steel

टाटा स्टील (Tata Steel) शीर्ष न्यायालय के उस फैसले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में उपचारात्मक याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है, जिसमें कहा गया है कि राज्यों को खनन और खनिज इस्तेमाल की गतिविधियों पर उपकर लगाने का अधिकारी है।

इस्पात विनिर्माण की देश की अग्रणी कंपनियों में शुमार इस कंपनी की याचिका का उद्देश्य 25 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के नौ न्यायाधीशों के संविधान पीठ द्वारा पारित आदेश में राहत की मांग करना है। अलबत्ता टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी टीवी नरेंद्रन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कंपनी पर कोई कर मांग नहीं है।

टाटा स्टील के पास झारखंड और ओडिशा में अपने निजी उपयोग वाली खदानें हैं। ओडिशा राज्य ने 1 फरवरी, 2005 से ओडिशा ग्रामीण अवसंरचना और सामाजिक-आर्थिक विकास अधिनियम, 2004 (ओआरआईएसईडी अधिनियम) लागू किया था, जिसमें खनिज संपन्न भूमि पर कर लगाया गया था। इसके बाद टाटा स्टील से ओडिशा में उसकी खदानों के संबंध में 129 करोड़ रुपये की मांग की गई थी।

टाटा स्टील ने ओडिशा उच्च न्यायालय में इसका विरोध किया था और इसे खारिज कर दिया गया था। अलबत्ता ओडिशा ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। इसके बाद खनिजों पर कर लगाने के राज्यों के विधायी अधिकार से संबंधित मामला सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ को भेज दिया गया।

25 जुलाई, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय के नौ न्यायाधीशों वाले संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्यों के पास खनन और खनिज-इस्तेमाल संबंधी गतिविधियों पर उपकर लगाने का अधिकार है। इसने अगस्त में एक फैसले में राज्यों को 1 अप्रैल, 2005 से बकाया वसूलने की अनुमति दी। केंद्र और अन्य पक्षों द्वारा दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया गया।

टाटा स्टील ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के अपने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के पीठ के समक्ष ओडिशा राज्य द्वारा दायर अपील की सुनवाई लंबित होने की वजह से यह अस्पष्ट/अनिश्चित है कि ओडिशा ग्रामीण अवसंरचना और सामाजिक-आर्थिक विकास (ओआरआईएसईड) अधिनियम, 2004 किस रूप और तरीके से लागू होगा।

First Published - November 10, 2024 | 10:03 PM IST

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