परंपरागत आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति अब टाटा को भी भाने लगी है।
दरअसल, कंपनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ टे्रडिशंस (एफआरएलएचटी) के सहयोग से इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ आयुर्वेद इंटीग्रेटेड मेडिसिन (आईआईएआईएम) खोलने की योजना बना रही है। यह देश में अपने तरह का पहला संस्थान होगा।
एफआरएलएचटी की ओर से तैयार की गई इस योजना का मकसद भारतीय प्रबंधन संस्थान और इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस की तर्ज पर कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक, स्नातक, फिजियोथेरेपिस्ट और योग विशेषज्ञ उपलब्ध कराना है। खास बात यह कि संस्थान में शॉर्ट टर्म के साथ-साथ लंबी अवधि वाले कोर्स भी कराए जाएंगे।
बेंगलुरु के समीप येलाहंका में करीब 64 करोड रुपये की लागत से आईआईएआईएम के साथ-साथ 100 बिस्तर क्षमता वाला एक आयुर्वेद और योग अस्पताल खोला जाना है, जिसे 2009 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
एफआरएलएचटी के संयुक्त निदेशक डॉ. जी. जी. गंगाधरन ने कहा कि टाटा ग्रुप के सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट ने इस परियोजना के लिए 34 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। शेष राशि डीएसटी की ओर से मुहैया कराई जाएगी। गंगाधरन ने बताया कि देशभर के करीब 310 आयुर्वेदिक कॉलेजों से सालाना 15,000 स्नातक निकलते हैं।