वर्ल्ड बैंक समूह के सदस्य इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईएफसी) को उसके निदेशक मंडल से गुजरात में लगने वाली टाटा की मुंद्रा परियोजना के लिए 1,800 करोड़ रुपये का ऋण देने की मंजूरी मिल गई है।
इस परियोजना के शुरू होने के बाद पश्चिमी और उत्तरी भारत के पांच राज्यों में बिजली की आपूर्ति और बेहतर हो सकेगी। लगभग 16,800 करोड़ रुपये की लागत से शुरू होने वाली इस परियोजना में आईएफसी 1800 करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराएगा। टाटा ने यह ऋण लंबी अवधि के लिए लिया है। कंपनी को यह ऋण 20 साल में चुकाना पड़ेगा।
इस संयंत्र की 800 मेगावाट क्षमता की पहली इकाई 2011 के मध्य में शुरू हो जाएगी। बाकी की दोनों इकाइयों को भी चार-चार महीने के अंतराल पर लांच कर दिया जाएगा। इस संयंत्र के निर्माण के दौरान लगभग 5,000 रोजगार उपलब्ध होंगे और संयंत्र क ा परिचालन कार्य शुरू होने पर लगभग 700 रोजगार उपलब्ध होंगे।
कोयले से चलने वाली 4,000 मेगावाट की इस विद्युत परियोजना से उद्योगों, कृषि और लगभग 1.6 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति की जाएगी। आईएफसी के निदेशक (इन्फ्रास्ट्रक्चर) राशद काल्दाने ने बताया कि यह परियोजना काफी महत्वपूर्ण है।
इस परियोजना से बाकी देशों को भी ज्यादा जिम्मेदारी से परियोजनाओं का चुनाव करने की सीख मिलती है। कंपनियों को पर्यावरण मापदंडों को ध्यान में रखते हुए सबसे बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को भी कोयला आधारित बड़ी परियोजनाओं के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए।
वर्ल्ड बैंक समूह का क्लीन एनर्जी इंवेस्टमेंट फ्रेमवर्क विकासशील देशों द्वारा ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल बैंक और उसके ग्राहक देशों के लिए जरुरी है। बैंक समूह ऊर्जा जरुरतों और पर्यावरण में आने वाले बदलावों के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए भी कार्यरत है। बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के निदेशक पाउलो मटर्ेली ने बताया कि बैंक को इस परियोजना के साथ जुड़कर काफी खुशी हुई है।