टाटा पावर कंपनी कुछ विदेशी परिसंपत्तियां बेचकर 2,500 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बना रही है। इन परिसंपत्तियों में जांबिया की पनबिजली परिसंपत्तियां और इंडोनेशिया की दो कोयला खदान शामिल हैं। टाटा पावर को अगले दो साल में रणनीतिक इंजीनियरिंग डिविजन की परिसंपत्तियों की बिक्री से अतिरिक्त 1,200 करोड़ रुपये मिलेंगे। बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कंपनी की महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा परियोजना में किया जाएगा, जो साल 2027 तक 20 गीगावॉट उत्पादित करने का लक्ष्य है।
कंपनी अपने संयुक्त उद्यम से इंडोनेशिया में बारामुल्टी सुकसेस सरना कोयला खदान बेचने के लिए बातचीत कर रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। पिछले वित्त वर्ष में उसने पीटी अरुतमिन इंडोनेशिया व कोल ट्रेडिंग व इन्फ्रास्ट्रक्चर की कंपनियों की 30 फीसदी हिस्सेदारी 40.1 करोड़ डॉलर में बेचने के लिए करार पर हस्ताक्षर किए थे। इनमें से कंपनी को इस साल मार्च तक 36.9 करोड़ डॉलर मिल चुके हैं और बाकी मौजूदा वित्त वर्ष में मिलने की उम्मीद है।
बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कंपनी आगामी 4 गीगावॉट वाली वाले विनिर्माण संयंत्र, निर्माणाधीन अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं, ओडिशा, दिल्ली व मुंबई में ट्रांसमिशन व वितरण कारोबार पर मौजूदा वित्त वर्ष में करेगी। 4 गीगावॉट वाले सेल व मॉड्यूल विनिर्माण संयंत्र (तमिलनाडु) पटरी पर हैं और इस साल अक्टूबर तक मॉड्यूल लाइन तैयार हो जाएगा। यह जानकारी टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सालाना आम बैठक में दी।
कंपनी ने अगले चार साल में 75,000 करोड़ रुपये निवेश करने के लिए अक्षय ऊर्जा की पहचान की है।
अग्रणी ग्लोबल फंड ब्लैकरॉक रियल ऐसेट्स व मुबाडला इन्वेस्टमेंट कंपनी ने पिछले साल टाटा पावर रीन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड में पिछले साल 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। दोनों निवेश फर्मों के पास टाटा पावर रीन्यूएबल की 6-6 फीसदी हिस्सेदारी होगी और बॉन्ड के इक्विटी में तब्दील किए जाने के बाद उनकी हिस्सेदारी 9.76 फीसदी से लेकर 11.43 फीसदी तक हो जाएगी।