ऐसे समय में जबकि बेहतर रिकॉर्ड वाली प्राइवेट इक्विटी (पीई) कंपनियां का कारोबार भी मंदी की चपेट में है, वहीं दो बड़े कारोबारी घरानों- टाटा और ए वी बिड़ला की छोटे और मझोले सौदों पर नजर टिकी हुई है।
टाटा 5 करोड़ डॉलर या इससे कम कीमत वाले सौदों की तलाश में है, वहीं कपड़े से लेकर दूरसंचार क्षेत्र तक में स्थापित बिड़ला समूह 2.5 करोड़ डॉलर तक के सौदों पर अपना ध्यान लगा रहा है।
इस बाबत टाटा कैपिटल प्राइवेट इक्विटी के प्रमुख शैलेंद्र भंडारी ने कहा कि हमारी दिलचस्पी कंपनी में बदलाव लाने की है। हम कोयले के ढेर में हीरों की तलाश में हैं।
भंडारी ने कहा कि हम ऐसे क्षेत्रों मे निवेश नहीं करना चाहते हैं जहां हमारा कारोबार धीमा है और साथ ही हम ऐसे कारोबार से भी परहेज कर रहे हैं जहां हम बाजार में अगुआ नहीं हैं।
समूह अपने दम पर पहले कोष का 15 फीसदी निवेश एंकर इन्वेस्टमेंट के रूप में करना चाहता है। इससे पहले टाटा कै पिटल ने अपने पहले पीई फंड के लिए 40-50 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना बनाई थी।
पैसा जुटाने की मुश्किलों के बीच ए वी बिड़ला समूह ने कहा कि उसने अपने 25 करोड़ डॉलर के कोष में से करीब 40 फीसदी पीई फंड के लिए सुरक्षित रखा है। इसके अलावा समूह सौदों को पूरा करने और इनके मूल्यांकन के लिए अपने आप को और मजबूत कर रहा है।