Shutterstock
दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं (FMCG) का निर्माण करने वाली कंपनियां मंदी की बढ़ती आशंकाओं और वैश्विक स्तर पर कोविड जैसे मौजूदा हालात के बावजूद अपने नए साल की शुरुआत जोरदार वृद्धि की उम्मीदों के साथ कर रही हैं। कंपनियां वर्ष 2023 में शहरी और ग्रामीण वृद्धि के संबंध में आशावादी हैं और उन्हें कीमतों में कम इजाफे, मुद्रास्फीति में कमी और दमदार उपभोक्ता मांग की उम्मीद है।
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल एफएमसीजी उद्योग को दो प्रमुख चुनौतियों – कम लाभ मार्जिन और कमजोर ग्रामीण मांग का सामना करना पड़ा था, जो इस वित्त वर्ष में सुधरने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 23 के लिए वृद्धि की भविष्यवाणी करते हुए शोध एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि एफएमसीजी क्षेत्र का राजस्व इस वित्त वर्ष में तकरीबन सात से नौ प्रतिशत की दर से बढ़ेगा, जबकि पिछले वर्ष (वित्त वर्ष 22) यह वृद्धि दर आठ से नौ प्रतिशत थी। बढ़ती इनपुट लागतों को आंशिक रूप से उपभोक्ताओं पर डाले जाने से दाम वृद्धि के कारण ऐसा हुआ था।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स के निदेशक (अनुसंधान) पी शर्मा ने कहा कि बढ़ती महंगाई और सुस्त ग्रामीण मांग के कारण इस क्षेत्र में मात्रात्मक वृद्धि कम रहेगी। एफएमसीजी की कुल मांग में ग्रामीण मांग योगदान लगभग 40 प्रतिशत रहता है। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 24 में यह क्षेत्र इसी रफ्तार से बढ़ता रहेगा, जो मुख्य रूप से वॉल्यूम और हल्की पड़ती मुद्रास्फीति से प्रेरित होगा। उन्होंने कहा कि स्थिर शहरी मांग के बीच ग्रामीण मांग में वृद्धि देखी जा सकती है, जो वॉल्यूम से प्रेरित वृद्धि में मदद करेगी।
पिछले साल (कैलेंडर वर्ष 2022) शहरी बाजार में लगातार वृद्धि हो रही थी क्योंकि महामारी के बाद बहुत सारी श्रेणियों की मजबूती से वापसी हो रही थी, जिससे शहरी बाजारों को बढ़ने में मदद मिली। उद्योग के विशेषज्ञ इस साल भी शहरी मांग में मजबूती देख रहे हैं।
केविनकेयर के मुख्य कार्याधिकारी वेंकटेश विजयराघवन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वित्त वर्ष 24 में शहरी मांग करीब नौ से 10 फीसदी की दर से बढ़ती रहेगी, जबकि उद्योग की ग्रामीण मांग करीब पांच से छह फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। केविनकेयर चेन्नई स्थित एफएमसीजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी है। पारले प्रोडक्ट्स भी उद्योग की वृद्धि के संबंध में आशावादी है और उम्मीद जता रही है कि यह पिछले कैलेंडर वर्ष की तुलना में बेहतर होगा क्योंकि मुद्रास्फीति कम हुई है।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने यह भी कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार की वजह से उसे ग्रामीण भारत में बढ़ती मांग नजर आ रही है। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सीएफओ समीर शाह ने कहा कि बुनियादी ढांचे में अधिक व्यय की संभावना से हमें वर्ष 2023 में ग्रामीण खपत में धीरे-धीरे सुधार की
उम्मीद है।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा कि डाबर को भी पिछले साल की तरह ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद है। ग्रामीण बाजार में ई-कॉमर्स और आधुनिक कारोबार से संचालित वृद्धि के बावजूद वहां महंगाई का दबाव अधिक नजर आया। मल्होत्रा ने कहा कि शहरी मांग में वृद्धि आधुनिक कारोबार और ई-कॉमर्स जैसे उभरते चैनलों द्वारा संचालित होती रहेगी।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि महंगाई से ज्यादा, अस्थिरता थी। पिछले साल हमने दामों में खासा इजाफा देखा। दरअसल, खाद्य तेल सहित कुछ मामलों में यह लगभग दोगुना हो गए। गेहूं और चीनी की कीमतों में खासी तेजी नजर आई।
शाह ने कहा कि आने वाले वर्ष में हमें उम्मीद है कि कीमतें स्थिर रहेंगी क्योंकि विश्व स्तर पर मंदी का रुख जारी है, जिसकी वजह से दुनिया भर में बड़ी मांग नहीं आएगी। मुद्रास्फीति के लिए यह एक प्रमुख कारक था। हालांकि विजयराघवन ग्रामीण मांग के संबंध में चिंतित हैं क्योंकि उद्योग में अच्छा सुधार नहीं दिखाई दिया है। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि अगर जनवरी से मार्च तक की मांग अच्छी रहती है, तो यह साल (कैलेंडर वर्ष 23) के लिए एक रुझान निर्धारित कर देगी।
यह भी पढ़ें: Walmart करीब 80 अरब रुपये का चुकाएगी कर
विजयराघवन ने कहा, ‘ग्रामीण दृष्टिकोण से हम प्रतीक्षा और समीक्षा वाली स्थिति में हैं क्योंकि हमें उम्मीद के मुताबिक मांग में उछाल नहीं दिख रही है।’ मैरिको ने अपनी तिमाही रिपोर्ट में कहा कि जिंसों की महंगाई में कमी, फसल की अधिक आय, सरकार के मौजूदा हस्तक्षेप और आगामी केंद्रीय बजट में संभावित प्रोत्साहन इस क्षेत्र के लिए अच्छा रहेगा।
क्रिसिल के अनुसार अगले वित्त वर्ष में प्रमुख रबी फसलों के लिए अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य, सामान्य मॉनसून की उम्मीद और अच्छी फसल से ग्रामीण वृद्धि और मांग में धीरे-धीरे सुधार को मदद मिलनी चाहिए।