देश में स्टार्टअप तंत्र अब परिपक्वता के स्तर पर पहुंच रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के कृषि से जुड़ी तकनीकी स्टार्टअप (एग्री टेक) पीछे छूट रही हैं जबकि इनमें बेहतर संभावनाएं बन सकती हैं। स्टार्टअप महाकुंभ के दूसरे संस्करण में एक पैनल चर्चा के दौरान शुक्रवार को ग्रामीण क्षेत्रों के नवाचार से जुड़े उद्योग के विशेषज्ञों ने यह बात की। तीन दिनों के स्टार्टअप महाकुंभ का आयोजन नई दिल्ली के भारत मंडपम में हो रहा है।
इस कार्यक्रम में शिरकत करने आए नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक अजय के सूद ने कहा, ‘ग्रामीण भारत वास्तव में यह संकट झेल रहा है क्योंकि खेती ही एक ऐसा क्षेत्र है जिसे पीछे छोड़ दिया गया है। अगर भारत को विकसित भारत के सपने को पूरा करता है तब ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना होगा और ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान करना होगा ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के एग्री-टेक कंपनियां ही समाधान साबित होंगी।’
इंडियन वेंचर ऐंड ऑल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन का कहना है कि एग्री-टेक में विकास और नवाचार की संभावना है लेकिन इस अवसर को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हर वर्ष निवेश होने वाली 50-60 अरब डॉलर की राशि में से केवल एक अरब डॉलर कृषि क्षेत्र में जाती है जो बेहद कम है।’
इंटेलकैप के सीईओ विकास बाली ने कहा कि शहरी भारत के लिए जिस तरह से उत्पाद और सेवाएं डिजाइन की जाती हैं वैसा ग्रामीण भारत के लिए नहीं हो सकता है। उन्होंने शैंपू के शैसे का उदाहरण देते हुए कहा कि इसी तरह उत्पादों और सेवाओं के लिए भी रणनीति बनानी होगी जो ग्रामीण क्षेत्र की आबादी के अनुकूल हो।