प्रतीकात्मक तस्वीर
केंद्रीय सार्वजनिक उद्यम क्षेत्र (सीपीएसई) के नवरत्न, महारत्न और मिनीरत्न के वर्गीकरण व प्रदर्शन का आकलन करने के दिशानिर्देश संशोधन की योजना बनाई जा रही है। इस मामले के जानकार सरकारी अधिकारी के अनुसार केंद्र सरकार प्रदर्शन खराब होने की स्थिति में सीपीएसई के दर्जे को कमतर करने के तरीके को भी पेश कर सकती है।
अधिकारी ने बताया, ‘इस बदलाव का लक्ष्य सीपीएसई की पूरी गुणवत्ता और दक्षता को बेहतर करना है। अभी सीपीएसई की चार श्रेणियां हैं। सरकार संशोधित मसौदे के लिए कार्य कर रही है। इस क्रम में सीपीएसई के प्रदर्शन के आधार पर उसका प्रदर्शन कमतर किया जा सकता है – यह मानदंड अभी तक उपलब्ध नहीं है। इस कदम से सार्वजनिक क्षेत्र के अधिक उत्तरदायी और प्रदर्शन आधारित होने की उम्मीद है।’
अभी भारत में 14 महारत्न सीपीएसई और 26 नवरत्न सीपीएसई हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते साल चार सीपीएसई – भारत के रेलटेल कॉरपोरेशन, भारत के सौर ऊर्जा कॉरपोरेशन, सतलज जल विद्युत निगम और नैशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन – का दर्ज बेहतर करके नवरत्न कर दिया था। केंद्र सरकार ने बीते महीने भारतीय रेल व पर्यटन कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) और इंडियन रेल फाइनैंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरएफसी) का दर्जा मिनीरत्न से बढ़ाकर नवरत्न कर दिया था।
सीपीएसई ने वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार को अभी तक का सर्वाधिक लाभांश 74,016 करोड़ रुपये दिया था। लाभांश देने में अग्रणी सीपीएसई कोल इंडिया (10,252 करोड़ रुपये), ओएनजीसी (10,001 करोड़ रुपये), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (5,090 करोड़ रुपये), भारत का पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन (4,824 करोड़ रुपये) और एनटीपीसी लिमिटेड (4,088 करोड़) हैं।
हाल के वर्षों में सीपीएसई के निरंतर ज्यादा लाभांश देने का रुझान कायम है। इस क्रम में केंद्र सरकार को 2023-24 में 63,749 करोड़ रुपये, 2022-23 में 59,533 करोड़ रुपये और 2020-21 में 39,750 करोड़ रुपये मिले थे। महारत्न के दर्जे के लिए यह अनिवार्य है कि वह भारत के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो और उसमें सेबी के दिशानिर्देशों के तहत न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता हो। सरकारी कंपनी का बीते तीन वर्षों में औसतन सालाना टर्न ओवर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक, सालाना औसतन शुद्ध संपत्ति 15,000 करोड़ रुपये से अधिक और सालाना कर के बाद शुद्ध लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि उसकी महत्त्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति या अंतरराष्ट्रीय परिचालन होना चाहिए। महारत्न योजना की शुरुआत 2010 में की गई थी। इसका लक्ष्य बड़ी सीपीएसई को सशक्त कर उनके संचालन का विस्तार कर उन्हें वैश्विक दिग्गज के रूप में विकसित करना है।
सरकार बीते पांच वर्षों में तीन बार ‘सर्वश्रेष्ठ’ या ‘बहुत अच्छा’ समझौता ज्ञापन रेटिंग हासिल करने वाली सीपीएसई को नवरत्न का दर्जा देती है। उनका छह चुनिंदा प्रदर्शन संकेतकों के अंक 60 या अधिक होना चाहिए। इन संकेतकों में शुद्ध लाभ – से – शुद्ध मूल्य, कुल उत्पादन/सेवाओं में मानव श्रम की लागत- से-उत्पादन, मूल्यह्रास के बाद लाभ, नियोजित पूंजी का ब्याज व कर, कर पूर्व लाभ और कर से टर्नओवर तक, प्रति शेयर आमदनी और अंतरक्षेत्रीय प्रदर्शन शामिल हैं। नवरत्न योजना की शुरुआत 1997 में शुरू की गई थी ताकि सीपीएसई तुलनात्मक लाभ व मदद हासिल कर वैश्विक स्तर की दिग्गज बनें। इस योजना के तहत नवरत्न सीपीएसई के बोर्ड को स्वायत्ता प्रदान की गई है और उन्हें अधिक शक्तियां जैसे पूंजीगत व्यय, संयुक्त उपक्रमों / सहायक कंपनियों में संयुक्त निवेश, विलय व अधिग्रहण और मानव संसाधन प्रबंधन दी गई हैं।