भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि भारतीय स्टेट बैंक की पूंजी बाजार इकाई एसबीआईकैप तीन महीने में परिपक्व होने वाली अल्पावधि की ऋण प्रतिभूतियां एनबीएफसी से खरीदने के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) स्थापित करेगी। ये प्रतिभूतियां निवेश श्रेणी वाली होंगी।
आरबीआई ने एक बयान में कहा, यह सुविधा 30 सितंबर, 2020 के बाद जारी किसी प्रतिभूतियों के लिए उपलब्ध नहीं होगी और एसपीवी 30 सितंबर, 2020 के बाद कोई नई खरीद नहीं कर पाएगा और 31 दिसंबर 2020 तक सभी बकाए की रिकवरी कर लेगा या फिर योजना के तहत इसमें संशोधन किया जा सकता है।
21 मई को सरकार ने कहा था कि वह एसपीवी बनाने के लिए समर्थन देगी, जो एनबीएफसी से ऐसी प्रतिभूतियां खरीदेगा। हालांकि एनबीएफसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस प्रस्ताव पर निराशा जताई है क्योंंकि वे कम से कम दो-तीन साल के सहारे की उम्मीद कर रहे थे। उस समय सरकारी बयान से पता चला कि एनबीएफसी से सीधे बॉन्डों की खरीद के बजाय सरकार एसपीवी में सिर्फ 5 करोड़ रुपये का योगदान करेगी। साथ ही ऐसी इकाई स्थापित करने का काम बड़े सरकारी बैंक को दिया गया। यह एसपीवी दबाव वाली परिसंपत्ति फंड का प्रबंधन करेगा, जो ब्याज वाली विशेष प्रतिभूतियां जारी करेगा, जिस पर सरकारी गारंटी होगी। इससे मिलने वाली रकम से दबाव वाली परिसंपत्ति फंड एनबीएफसी व एचएफसी से बॉन्ड खरीदेगा, जिसकी परिपक्वता अवधि तीन महीने की होगी। इसका अनिवार्य रूप से यह मतलब हुआ कि आरबीआई की रकम का इस्तेमाल बॉन्ड की खरीद में होगा और तब तक सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा जब तक कि गारंटी नहीं भुनाई जाती। सरकार ने मूल रूप से हालांकि कुल 30,000 करोड़ रुपये की खरीद की बात कही थी, लेकिन आरबीआई ने अपने बयान में इस तरह की किसी सीमा का जिक्र नहीं किया।
