दुनिया भर में नए संयंत्र खोलने की अपनी योजना के तहत मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले रिलायंस समूह की नजर कुवैत पर टिक गई है।
समूह वहां पोली प्रॉपिलीन बनाने के लिए संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है। उसकी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड आरपीएल ने इस संयंत्र के लिए काम शुरू कर दिया है और परियोजना के लिए सर्वेक्षण कर लिया गया है।
विदेश में पहली इकाई
खाड़ी क्षेत्र में रिलायंस पहले से ही कारोबार कर रही है। पोली प्रॉपिलीन की मार्केटिंग का उसका कारोबार वहां चल रहा है। लेकिन इसके उत्पादन के लिए कोई भी इकाई वहां नहीं है। यदि इस योजना को अमली जामा पहना दिया जाता है, तो देश के बाहर कंपनी की यह पहली इकाई होगी। इस परियोजना से जुड़े कंपनी सूत्रों ने बताया, ‘परियोजना के लिए नियुक्तियां शुरू हो चुकी हैं।’
रिफाइनरी भी लगेगी
इसी बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज आरआईएल भी कुवैत में रिफाइनरी परियोजना स्थापित करने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा, ‘रिलायंस को खाड़ी क्षेत्र से काफी उम्मीदें हैं। जामनगर में अपनी प्रस्तावित तीसरी रिफाइनरी के विकल्प के तौर पर वह खाड़ी को देख रही है।’
कुवैत पोली प्रॉपिलीन परियोजना में हिस्सेदारी के लिए रिलायंस की दोएक कंपनियों से बातचीत भी चल रही है। कुवैत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन कह चुका है कि रिफाइनिंग ओर पेट्रोकेमिकल्स परियोजनाओं के लिए डाउ केमिकल्स के साथ वह रिलायंस से भी बातचीत कर रहा है। इनमें तीनों कंपनियों की साझेदारी हो सकती है।
अन्य देशों पर नजर
रिलायंस समूह की प्रवक्ता ने बताया कि कुवैत ही नहीं कई दूसरे देशों में भी विभिन्न परियोजनाओं के लिए कंपनी व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करा रही है। लेकिन कुवैत या किसी अन्य परियोजना के बारे में कोई भी ब्यौरा देने से उसने इनकार कर दिया।
गेल से भी मेल
आरआईएल और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड गेल ने भारत के बाहर पेट्रोकेमिकल संयंत्र लगाने के लिए पहले ही समझौता कर लिया है। दोनों कंपनियों ने प्राकृतिक गैस के मामले में भी पहले ऐसा ही समझौता किया था। इसमें गैस पाइपलाइन बिछाना और शहरों में गैस वितरण करना भी शामिल है।
दोनों कंपनियों ने पिछले साल एक समझौते पर दस्तखत किए थे। इसके तहत उन्होंने कतर, अबूधाबी, बहरीन, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और रूस में रसायन परियोजनाएं स्थापित करने की बात कही थी। इन परियोजनाओं की क्षमता 20 लाख टन तक होने की बात समझौते में शामिल थी।
जामनगर में आरपीएल ने विशेष आर्थिक क्षेत्र में रिफाइनरी लगाने का 90 फीसदी काम पूरा कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक रिफाइनरी इसी साल सितंबर में काम शुरू कर देगी।
आरआईएल पोली प्रॉपिलीन बनाने के मामले में एशिया की सबसे बड़ी कंपनी है। वह सालाना 10 लाख टन से ज्यादा पोली प्रॉपिलीन बनाती है। दुनिया की आठ सबसे बड़ी पोली प्रॉपिलीन कंपनियों में भी यह शामिल है। इस रसायन के भारतीय बाजार में उसकी हिस्सेदारी तकरीबन 70 फीसदी है।
दुनिया में पोली प्रॉपिलीन की खपत का 3 फीसदी हिस्सा रिलायंस के संयंत्रों से ही पूरा होता है। कंपनी की योजना इस आंकड़े में इजाफा करने की है, जिसके लिए वह नए संयंत्र खोलने की योजना पर काम कर रही है।