प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की क्रेडिट रेटिंग में सुधार की गुंजाइश है, बशर्ते कंपनी कम कर्ज के साथ काम करे और नॉन-एनर्जी सेक्टर से अपनी आय को मजबूत करे। पिछले हफ्ते S&P ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘BBB-/A-3’ से बढ़ाकर ‘BBB/A-2’ करने के बाद रिलायंस के साथ-साथ ONGC, NTPC और टाटा पावर जैसी कंपनियों की रेटिंग को भी ‘BBB-‘ से ‘BBB’ कर दिया था। यह अपग्रेड देश की आर्थिक मजबूती और लगातार वित्तीय सुधारों के आधार पर किया गया।
S&P के क्रेडिट एनालिस्ट नील गोपालकृष्णन ने कहा कि रिलायंस की रेटिंग, जो अभी ‘BBB+’ है, में एक और सुधार की संभावना है। इसके लिए कंपनी को अपने स्टैंडअलोन क्रेडिट प्रोफाइल को बेहतर करना होगा। उन्होंने बताया कि रिलायंस को कर्ज का स्तर कम रखना होगा और खास तौर पर नॉन-एनर्जी सेक्टर, जैसे डिजिटल और रिटेल बिजनेस, से होने वाली आय को बढ़ाना होगा, क्योंकि ये सेक्टर कम अस्थिर होते हैं। गोपालकृष्णन ने कहा कि ये सभी फैक्टर कंपनी की रेटिंग को अगले एक साल में ऊपर ले जा सकता है।
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S&P ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट में कहा कि रिलायंस की रेटिंग पर उनका स्थिर नजरिया इस बात की ओर इशारा करता है कि कंपनी का बढ़ता कैश फ्लो और समझदारी से किया गया खर्च आने वाले 12 से 24 महीनों तक उसकी वित्तीय हालत को मजबूत बनाए रखेगा। हालांकि, अगर रिलायंस का पूंजीगत खर्च, खासकर डिजिटल या रिटेल कारोबार में अधिग्रहण, उम्मीद से ज्यादा होता है या किसी प्रमुख कारोबार में खराब प्रदर्शन के कारण आय कम होती है, तो रेटिंग को नीचे लाया जा सकता है। S&P ने यह भी बताया कि अगर कंपनी का डेट-टू-एबिटा (EBITDA) अनुपात लगातार 2.5x से ऊपर रहता है, तो यह वित्तीय स्थिति में गिरावट का संकेत होगा।
रेटिंग बेहतर करने के लिए रिलायंस को अपनी फाइनेंशियल पॉलिसी और कड़ी करनी होगी, ताकि डेट-टू-एबिटा रेशियो 2x से काफी नीचे बना रहे। साथ ही, नॉन-एनर्जी बिजनेस से कमाई का हिस्सा बढ़ाना भी जरूरी होगा। S&P ने साफ किया है कि अगर कंपनी ये कदम उठाती है, तो उसकी रेटिंग और मजबूत हो सकती है।