कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCL) की समाधान प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही बोलीकर्ताओं ने ‘चुनौती व्यवस्था’ लाए जाने समेत निविदा प्रक्रिया से जुड़े कई बिंदुओं पर चिंताएं जताई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ऋणदाताओं की समिति (COC) की तरफ से बोली प्रक्रिया में एक नया खंड ‘चुनौती व्यवस्था’ लाए जाने के फैसले ने बोलीदाताओं को परेशान कर दिया है। इस व्यवस्था के तहत कर्जदाताओं को किसी भी समाधान योजना का मनचाहे ढंग से विरोध करने की अधिकार दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि बोलीदाता निविदा प्रक्रिया के अंतिम चरण में आकर इस नए खंड को लाए जाने पर चिंतित हैं। उनका मानना है कि ‘समाधान योजना के लिए अनुरोध’ (आरएफआरपी) के दस्तावेज में इस व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।
RCL ने सभी बोलीदाताओं को दो विकल्प दिए थे। पहले विकल्प के तहत कंपनियां रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCL) और उसकी आठ अनुषंगी कंपनियां या क्लस्टर के लिए समेकित रूप से बोली लगा सकती हैं। वहीं दूसरे विकल्प के तहत RCL की अपनी अनुषंगी कंपनियों के लिए अलग से बोली लगाने की छूट दी गई थी।
RCL के मातहत आठ कारोबार संचालित किए जाते रहे हैं जिनमें सामान्य बीमा, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, प्रतिभूति व्यवसाय और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण शामिल हैं।
लेकिन बोली प्रक्रिया के अंतिम चरण में आकर चुनौती व्यवस्था का प्रावधान करने से नाराज हिंदुजा, ओकट्री और टॉरेंट जैसे बोलीदाताओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा ऋणदाताओं की तरफ से इस नए खंड की रूपरेखा को अभी तक परिभाषित नहीं किए जाने से भी बोलीदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति बनी है।
दूसरी तरफ रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (RGIC) के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों ने इसके शेयरों को लेकर चिंता जताई है। सूत्रों के मुताबिक, RGIC के शेयर कर्जदाताओं के कब्जे में न होकर फिलहाल आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज (ITSL) के पास हैं।
अक्टूबर की शुरुआत में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने RCL की समाधान प्रक्रिया की समयसीमा को तीसरी बार बढ़ाते हुए 31 जनवरी, 2023 तक कर दिया। पहले यह समयसीमा एक नवंबर को ही खत्म होने वाली थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 29 नवंबर, 2021 को कर्ज भुगतान में चूक और कंपनी परिचालन से जुड़े गंभीर मुद्दों को देखते हुए RCL के निदेशक मंडल को बर्खास्त कर दिया था। इसके साथ ही दिवाला प्रक्रिया के संचालन के लिए वाई नागेश्वर राव को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया गया था।