कोरोना के बाद से मुंबई में वरिष्ठ नागरिक (61 और इससे अधिक उम्र के) मकान खरीदने पर काफी जोर दे रहे हैं। बीते 4 साल के दौरान इनके द्वारा खरीदी गई संपत्ति के पंजीयन में तेजी से वृद्धि हुई है। अन्य आयु वर्ग की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति की कुल संपत्ति में हिस्सेदारी भी बढ़ी है। इसकी वजह कोरोना महामारी के बाद परिवार के साथ रहने की इच्छा के साथ ही परंपरागत पीढ़ी का एक स्थिर जीवन शैली के पक्ष में रहना है।
कोरोना के बाद किस तरह बढ़ी बुजुर्गों द्वारा खरीदी गई संपत्ति?
संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक कोरोना के बाद से मुंबई में वरिष्ठ नागरिकों या बुजुर्गों द्वारा खरीदी जाने वाली संपत्ति के पंजीयन में तेजी से इजाफा हुआ है। बीते 4 साल में उनके द्वारा खरीदी गई संपत्ति का पंजीयन बढ़कर तीन गुना से भी अधिक होने की संभावना है।
साल 2020 में बुजुर्गों ने 7,554 संपत्तियों का पंजीयन कराया था, जबकि इस साल जुलाई तक ही वे 15,276 संपत्तियों का पंजीयन करा चुके हैं। जुलाई तक के आंकड़ों के आधार पर ही कोरोना के बाद बुजुर्गों द्वारा कराए गए संपत्तियों के पंजीयन में 200 फीसदी से ज्यादा इजाफा हुआ है।
नाइट फ्रैंक इंडिया ने 2024 की पूरी अवधि में बुजुर्गों द्वारा संपत्तियों का पंजीयन 23,000 के पार जाने का अनुमान लगाया है। इस तरह कोरोना के बाद से इनकी संपत्तियों का पंजीयन बढ़कर 3 गुना से अधिक हो सकता है। कोरोना के बाद बुजुर्गों की संपत्तियों का पंजीयन लगातार बढ़ रहा है। बुजुर्गों ने साल 2021 में 17,685, साल 2022 में 18,246 और साल 2023 में 22,849 संपत्तियों का पंजीयन कराया था।
मुंबई में वरिष्ठ नागरिकों की कुल संपत्ति पंजीयन में हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ी
नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार वरिष्ठ नागरिकों की पत्तियों का पंजीयन बढ़ने के साथ ही उनकी कुल पंजीयन में हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ी है। कोरोना वाले साल इन नागरिकों की कुल पंजीयन में हिस्सेदारी 12 फीसदी थी, जो पिछले साल बढ़कर 18 फीसदी हो गई।
इस साल जुलाई तक भी यह 18 फीसदी है। साल पूरा खत्म होने तक हिस्सेदारी 18 फीसदी के आस पास बरकरार रह सकती है। वरिष्ठ नागरिकों के उलट 30 से 45 आयु वर्ग वालों की हिस्सेदारी 2020 की 48 फीसदी से घटकर इस साल जुलाई तक घटकर 40 फीसदी रह गई है। पिछले साल भी यह आंकड़ा 40 फीसदी था। युवाओं यानी 18 से 29 आयु वर्ग वालों की हिस्सेदारी 9 फीसदी पर स्थिर बनी हुई है। 40 से 60 आयु वर्ग वालों की हिस्सेदारी एक फीसदी बढ़कर 33 फीसदी हो गई है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि 2020 की महामारी से मकान खरीदारों की मानसिकता में बदलाव में आया है। खरीदार बड़े और बेहतर रहने की स्थिति वाले मकानों की तलाश में रहते हैं।
शहर में कई वरिष्ठ नागरिकों के लिए महामारी का मतलब घर से काम करने के चलन के कारण अपने बच्चों के साथ मिलकर रहना था। जिसने बड़े घर खरीदने के निर्णयों को और प्रभावित किया। वरिष्ठ आयु वर्ग में खरीदारों की बढ़ी हुई हिस्सेदारी बाजार के लिए आशावाद को दर्शाती है।