प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत का ऑफिस बाजार 1 अरब वर्ग फुट ऑफिस जगह के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑफिस बाजार बनने वाला है। प्रौद्योगिकी उद्योग के समर्थन आधार से जीसीसी के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा भारत वैश्विक कंपनियों का ऐसा बड़ा बाजार बन चुका है, जो नवाचार और किफायत का मिलाजुला मेल मुहैया कराता है। इसमें वैश्विक मानकों के अनुरूप कर्मचारियों की गुणवत्ता भी शामिल है। नाइट फ्रैंक एलएलपी में वरिष्ठ साझेदार और ग्रुप चेयर विलियम बियर्डमोर-ग्रे तथा नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने मुंबई में विशाल छाबड़िया और प्राची पिसाल को बताया कि वैश्विक मंदी के बीच ऑफिस स्पेस में वैश्विक अगुआई के लिए बाजार पूरी तरह तैयार है। प्रमुख अंश :
आप करीब 35 साल से इस कारोबार में हैं। आपने इस उद्योग में किस प्रकार के बदलाव देखे हैं, खास तौर पर पिछले कुछ वर्षों में?
विलियम : पिछले 5 से 10 वर्षों में महत्त्वपूर्ण बदलाव निवेशक क्षेत्र में निजी पूंजी का बढ़ता प्रभाव रहा है। जहां हमने आर्थिक परिस्थितियों या भू-राजनीतिक गतिविधियों के आधार पर कुछ खास किस्म के निवेशकों को बाजार में आते-जाते देखा है, वहीं प्रबुद्धता में निजी निवेशक बढ़े है और वे स्थायी बन गए हैं। पिछले 5 से 10 वर्षों में निजी इक्विटी का प्रचलन जारी रहा है और इसका महत्त्व बढ़ा है तथा यह बड़ी प्रभावकारी हो गई है, विशेष रूप से वैश्विक वित्तीय संकट के बाद।
हम वैश्विक अनिश्चितताओं और तकनीकी दिग्गजों में छंटनी देख रहे हैं। क्या यह आपके उद्योग के लिए चिंता की बात नहीं है?
बैजल : अब लगभग पूरी तरह से कार्यालय से काम करने का चलन है। उचित सहयोगपूर्ण स्थानों, ईएसजी अनुपालन और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिहाज से प्रति व्यक्ति स्थान का उपयोग काफी बढ़ गया है। देश में जीसीसी और भारत केंद्रित कारोबारों की आवश्यकता काफी बढ़ी है। इन दोनों कारकों ने ऑफिस की मांग में योगदान दिया है। 3 से 4 साल पहले शुरू हुई जीसीसी की गतिविधियां ऑफिस की आवश्यकता की रफ्तार को और बढ़ा रही है। ये वे कंपनियां हैं, जो अब भारत में विश्वास करती हैं।
विलियम : भारत में वैश्विक कंपनियों के लिए प्रमुख प्रेरकों में से एक है नवाचार और लागत का मेल। एक ही सिक्के के दो पहलू। भारत उन कुछ स्थानों में से एक है, जो अधिक गुणवत्ता वाले कर्मचारियों के साथ यह मुहैया करा सकता है।
आकार और नाइट फ्रैंक के वैश्विक कारोबार में भारत के योगदान के लिहाज से आप अगले 5 से 10 सालों में इसे कहां देखते हैं?
विलियम : दुनिया भर में हमारे 20,000 कर्मचारी हैं। इनमें से करीब 2,000 भारत में हैं। अगले 5 से 10 सालों में एशिया हमारे लिए बड़ा केंद्रबिंदु है। यहीं हमें विकास के वास्तविक अवसर दिखाई दे रहे हैं।
बैजल : भारत पर हमारा ध्यान रहेगा, इसमें संदेह नहीं है। नाइट फ्रैंक में भारत पर आज जितना जोर दिया जार रहा है, उतना पहले कभी नहीं रहा। नाइट फ्रैंक भारत की विकास गाथा में विश्वास करती है।