facebookmetapixel
Ladki Bahin Yojana: इस राज्य की महिलाओं के लिए अलर्ट! 18 नवंबर तक कराएं e-KYC, तभी मिलेंगे हर महीने ₹1500ट्रेडिंग नियम तोड़ने पर पूर्व फेड गवर्नर Adriana Kugler ने दिया इस्तीफाNPS में शामिल होने का नया नियम: अब कॉर्पोरेट पेंशन के विकल्प के लिए आपसी सहमति जरूरीएशिया-पैसिफिक में 19,560 नए विमानों की मांग, इसमें भारत-चीन की बड़ी भूमिका: एयरबसअमेरिकी टैरिफ के 50% होने के बाद भारतीय खिलौना निर्यातकों पर बढ़ा दबाव, नए ऑर्डरों की थमी रफ्तारसुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने किया साफ: आधार सिर्फ पहचान के लिए है, नागरिकता साबित करने के लिए नहींBihar चुनाव के बाद लालू परिवार में भूचाल, बेटी रोहिणी ने राजनीति और परिवार दोनों को कहा ‘अलविदा’1250% का तगड़ा डिविडेंड! अंडरवियर बनाने वाली कंपनी ने निवेशकों पर लुटाया प्यार, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते₹4 करोड़ कम, लेकिन RR चुना! जानिए क्यों Jadeja ने CSK को कहा अलविदा75% का तगड़ा डिविडेंड! फॉर्मा कंपनी का निवेशकों को बड़ा तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते

रैनबैक्सी के कर्मचारियों को है नौकरी खोने का डर

Last Updated- December 07, 2022 | 5:41 AM IST

रैनबैक्सी के हलचल मचा देने वाली जापानी कंपनी डाईची सांक्यो को बेच देने के फैसले से कंपनी के कर्मचारी काफी बेचैन हैं।


आधिकारिक तौर पर कर्मचारियों को दी गई तस्सली कि कंपनी का मौजूदा प्रबंधन तंत्र और ढांचा जस का तस बना रहेगा भी उन्हें उनकी अधिग्रहण के बाद नौकरी छिन जाने के डर से निजात नहीं दिला सका।

कंपनी के कर्मचारियों का कहना है कि इस करार इतना गोपनीय तरीके से किया गया कि कंपनी के उच्च अधिकारियों को भी इस बात का पता नहीं चल पाया। बिजनेस स्टैंडर्ड ने जितने भी वरिष्ठ अधिकारियों से बात की सभी ने यह बात स्वीकार की कि उन्हें इस करार की खबर समाचार पत्रों से ही मिली।

एक कर्मचारी ने कहा, ‘मार्च 2009 जब तक यह सौदा पूरा नहीं हो जाता कंपनी के कामों में कोई बदलाव नहीं होगा। हमारी चिंता की वजह अधिग्रहण के बाद क्या होगा यह है।’ इस दौरान भारतीय मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स महासंघ ने कहा कि वह रैनबैक्सी प्रबंधन से बातचीत करेगी। महासंघ के महासचिव डीपी दुबे का कहना है, ‘हम इस मामले पर ध्यान बनाए हुए हैं। एफएमआरएआई रैनबैक्सी प्रबंधन से कई मसलों जैसे कि सौदे की मौजूदा स्थिति पर बात करके ही अपनी स्थिति साफ कर पाएगा।’

फार्मास्युटिकल विशेषज्ञ क्रिसकैप्टिल के प्रबंध निदेशक संजीव कॉल का कहना है कि एक दम से प्रबंधन में बदलाव की उम्मीद बहुत कम है। ‘रैनबैक्सी अधिग्रहण के बाद डाईची सांक्यो की जेनेरिक दवाओं के लिए सहायक कंपनी होगी और दोनों अलग-अलग प्रबंधन टीमों के तहत स्वतंत्र रूप से काम करें। इसमें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।’

First Published - June 13, 2008 | 11:21 PM IST

संबंधित पोस्ट