सत्यम में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो जाने के बाद कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों को 7 करोड़ 50 लाख डॉलर के डायरेक्टरर्स एंड ऑफिसर्स (डी एंड ओ) बीमा कवर का लाभ मिलने की संभावना न को बराबर है।
इसकी वजह कंपनी के चेयरमैन रामलिंग राजू द्वारा अनियमितता और जालसाजी करने की बात स्वीकार करना है।
सत्यम को जारी डी एंड ओ बीमा कवर से संबंध रखनवाले एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह की पॉलिसी का मकसद किसी कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों को सेवाओं के दौरान काम करते हुए कोई चूक हो जाने के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है।
इस बाबत एक सूत्र ने कहा कि रामलिंग राजू को इसलिए इस बीमा पॉलिसी का लाभ नहीं मिल सकता क्योंकि उन्होंने कंपनी में खुद ही घोटाला करने की बात मानी है।
अधिकारी ने कहा कि यह पॉलिसी पिछले, वर्तमान और भविष्य के निदेशकों को भी सुरक्षा प्रदान करती है, बशर्ते कि उन्होंने कोई गलती न की हो या फिर वे जान बूझकर ऐसी किसी साजिश में शामिल नहीं पाए गए हों।
टाटा एआईजी, न्यू इंडिया इंश्योरेंस और आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जैसी बीमा कंपनियां इस मामले में निदेशक के खिलाफ दायर दावों का कानूनी खर्च उठाएंगी।
दिसंबर में राजू द्वारा अपने बेटों की हिस्सेदारी वाली कंपनी खरीदने के फैसलों का सत्यम के निवेशकों ने काफी विरोध किया था जिसके बाद दबाव में आकर राजू को अपने इन फैसलों को वापस लना पड़ा था।
इस घटना के तुरंत बाद सत्यम के पांच निदेशकों ने कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी वदलामणि श्रीनिवास के साथ इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से ही कंपनी में अनियमितता संबंधी बातों की शिकायत आने लगी थी और इन तमाम शिकायतों की छान-बीन के लिए एक जांच समिति का भी गठन किया गया था।
यह पॉलिसी निदेशकों, अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा अपने सेवाकाल में किए गए किसी अपराध या फिर इसके आरोपी होने की स्थिति में सुरक्षा प्रदान करती है। इसकेअलावा बीमा उद्योग के सूत्रों का कहना है कि सत्यम के निदेशकों के कानूनी खर्च के लिए यह पॉलिसी पर्याप्त नहीं हो सकती है।
गौरतलब है कि भारत में छोटी कंपनियां 50 लाख से 2 करोड ड़ॉलर तक की डी एंड ओ पॉलिसिया लिया करती हैं जबकि अमेरिकी में सूचीबध्द भारतीय कंपनियां समान्य तौर पर 5 करोड़ से 10 करोड़ डॉलर तक की पॉलिसी लेती हैं।