देश में चाय की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी मैकलॉयड रसेल इंडिया को कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान कंपनी दिवालिया समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के बाहर फिर से कर्ज समाधान की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
करीबी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि कुछ बैंकों को छोड़कर अधितर कर्जदाताओं ने अंतर-ऋणदाता समझौते (आईसीए) पर हस्ताक्षर कर दिए थे और अब बाकी बैंक भी इसके लिए राजी हो गए हैं। चाय उत्पादक कंपनी को ऋण देने वाले कंसोर्टियम में करीब 10 बैंक शामिल हैं। उनकी इस हफ्ते के अंत में होने वाली बैठक में इस पर फैसला हो सकता है।
सूत्रों ने संकेत दिए कि तकनीकी आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन को भी अद्यतन किया जाएगा। इसके अलावा एसबीआई कैपिटल मार्केट्ïस द्वारा सुझाई गई कर्ज समाधान योजना लागू करने के लिए कंपनी की क्रेडिट रेटिंग भी हासिल करनी होगी।
मैकलॉयड रसेल पर बैंकों का करीब 1,800 करोड़ रुपये बकाया कर्ज है। अगर अनचुकता ब्याज को भी जोड़ लें तो यह रकम करीब 2400 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। समाधान प्रक्रिया के तहत बैंकों को 1,800 करोड़ रुपये के मूल कर्ज का पुनर्गठन करना होगा। कर्ज पर देय ब्याज के मामले में कुछ अन्य तरीके आजमाए जा सकते हैं। कंपनी के प्रवर्तकों को भी अपनी इक्विटी बेचनी होगी जिसका मतलब कुछ चाय बागानों की बिक्री होगी।
मैकलॉयड ने 31 मार्च 2019 से लेकर 31 मार्च 2020 के दौरान 17 चाय बागानों को बेचकर करीब 764 करोड़ रुपये जुटाए थे।
लेकिन एक समग्र कर्ज पुनर्गठन के लिए बैंकों के साथ बातचीत का दौर बाद में शुरू हुआ और अब भी यह प्रक्रिया जारी है। गत 6 अगस्त को राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा एक अंतरिम समाधान पेशेवर की नियुक्ति कर दी गई। हालांकि वित्तीय कर्जदाता टेक्नो के साथ मैकलॉयड ने मामला निपटा लिया और 3 सितंबर को पंचाट ने इसकी स्वीकृति भी दे दी। इसका नतीजा यह हुआ कि मैकलॉयड और उसके निलंबित बोर्ड निदेशक सीआईआरपी के चंगुल से मुक्त हो गए। इसी के साथ अंतरिम दिवालिया पेशेवर को भी कार्यमुक्त कर दिया गया।
मैकलॉयड पिछले कुछ वर्षों से कर्ज के बोझ की समस्या से परेशान है। प्रवर्तक आदित्य खेतान ने शेयरधारकों को लिखे पत्र में कहा है कि ऋणदाताओं के समर्थन से कर्ज पुनर्गठन योजना आगे बढ़ी है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक इसे मंजूरी मिलने की संभावना है।