प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन जुआ घोटाले की जांच का दायरा बढ़ाते हुए फाइनैंशियल टेक्नोलॉजी कंपनी पेटीएम के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की है, जिसमें कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी भी शामिल हैं। यह पूछताछ घोटाले में शामिल कंपनियों को रेमिटेंस की सुविधा देते समय अपराध को रोकने के लिए उचित कदम उठाने में विफलता को लेकर हुई है।
केंद्रीय एजेंसी द्वारा शनिवार को डोकीपे टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और लिंकयुन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। इन कंपनियों पर चीन से जुड़े ऐप के माध्यम से ऑनलाइन जुआ चलाने का आरोप है। एजेंसी ने इन फर्मों के 4 खाते भी जब्त किए हैं, जो एचएसबीसी बैंक में हैं।
इस जांच से जुड़े ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस सप्ताह की शुरुआत में पूछताछ हुई है, जो ऑनलाइन जुआ मामले की जांच का हिस्सा है। पेटीएम के अधिकारियों से जांच में शामिल होने को कहा गया है, उसके बाद हमने डिजिटल वालेट पेमेंट गेटवे की खामियों की जांच शुरू की है, जिसका इस्तेमाल कुछ चीनी कंपनियों द्वारा विदेश में पैसे भेजने के लिए किया गया है।’
मंगलवार को पेटीएम के प्रवक्ता को इस सिलसिले में भेजे गए सवाल का कोई जवाब कई बार ध्यानाकर्षण कराए जाने के बावजूद नहीं मिला।
अधिकारियों के मुताबिक पेमेंट वालेट सहित वित्तीय संस्थानों को संदेहास्पद लेन देन के बारे में वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को सूचना देनी होती है। तय किए गए मानकों के मुताबिक वित्तीय संस्थानों को अस्वाभाविक बड़े लेन देन पर ध्यान देने की जरूरत होती है, जिनका कोई स्पष्ट आर्थिक या दृश्य कानूनी मकसद नहीं होता है। साथ ही बड़े लेन देन के मामले में पृष्ठभूमि और मकसद की भी जांच करने का प्रावधान है।
जांच एजेंसी एचएसबीसी बैंक के अधिकारियों व कैश फ्री, रेजरपे जैसे अन्य पेमेंट वालेट के अधिकारियों को भी जांच में शामिल करने के लिए तलब कर सकती है।
