आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर दुनिया भर में जबरदस्त उत्साह है, लेकिन हकीकत यह है कि बहुत कम कंपनियां इसे पूरी तरह अपने बिज़नेस का हिस्सा बना पाई हैं। प्रोटिविटी के पहले AI पल्स सर्वे 2025 के मुताबिक, केवल 8% संगठन ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं जहां AI न सिर्फ काम को आसान बना रहा है, बल्कि इनोवेशन, प्रतिस्पर्धा और इंडस्ट्री में बदलाव का बड़ा कारण भी बन रहा है।
सर्वे में दुनियाभर के 1,000 से अधिक सीनियर अधिकारियों और 176 सी-स्तर के एग्जिक्यूटिव्स से बातचीत की गई। इसमें सामने आया कि 51% कंपनियां अभी शुरुआती चरण में हैं। यानी वे केवल छोटे-छोटे पायलट प्रोजेक्ट चला रही हैं या AI के संभावित उपयोग के मामले तलाश रही हैं। इसका मतलब है कि योजना और उसके सही अमल के बीच अब भी बड़ा फर्क है।
AI के नतीजों को लेकर तस्वीर काफी दिलचस्प है। 85% कंपनियों ने कहा कि उनके AI निवेश उम्मीद के मुताबिक या उससे बेहतर परिणाम दे रहे हैं। हर चार में से एक कंपनी को तो रिटर्न उम्मीद से काफी ज्यादा मिला। हालांकि शुरुआती चरण की 36% कंपनियों का कहना है कि उन्हें अभी उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं मिला।
टेक्नोलॉजी और बैंकिंग-फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर AI अपनाने में सबसे आगे हैं। टेक सेक्टर की 52% कंपनियां एडवांस स्टेज पर पहुंच चुकी हैं, जबकि वित्तीय सेवाओं में हर चार में से एक कंपनी ने उम्मीद से कहीं ज्यादा मुनाफा दर्ज किया है। दूसरी ओर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अभी पीछे है, जहां 37% कंपनियां शुरुआती खोज और परीक्षण के चरण में हैं।
सफल AI अपनाने में सबसे बड़ी रुकावट पुराने सिस्टम्स के साथ इसका इंटीग्रेशन है, जिसे करीब 30% कंपनियों ने अपनी मुख्य समस्या बताया। शुरुआती कंपनियां सही यूज़ केस खोजने में जुटी हैं, जबकि एडवांस कंपनियां अब डेटा की कमी और उसे संभालने की चुनौतियों से जूझ रही हैं।
AI में आगे बढ़ते-बढ़ते सफलता मापने का तरीका भी बदल जाता है। शुरुआत में कंपनियां काम की गति और खर्च घटाने पर ध्यान देती हैं, लेकिन आगे चलकर वे ग्राहक खुशी, नई कमाई के मौके और नए आइडिया पर ज्यादा जोर देती हैं।
प्रोटिविटी का कहना है कि AI से ज्यादा फायदा पाने के लिए कंपनियों को साफ और नतीजे देने वाली रणनीति अपनानी होगी। इसके लिए असरदार प्रोजेक्ट चुनना, मजबूत डेटा सिस्टम बनाना, टीमों में तालमेल बढ़ाना और AI को सीधे कामकाज में शामिल करना जरूरी है। यह रिपोर्ट कंपनियों को बताती है कि वे AI की राह में कहां हैं और इसे बड़े स्तर पर लागू कर पक्के नतीजे कैसे पा सकती हैं।