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ऑनलाइन गेमिंग बैन का असर! Dream11 और MPL जैसी कंपनियां यूनिकॉर्न लिस्ट से बाहर, वैल्यूएशन गिरी

ऑनलाइन गेमिंग बैन से ड्रीम11 और MPL जैसी कंपनियां प्रभावित, जबकि फिनटेक और एआई सेक्टर ने दिखाई मजबूत बढ़त

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अजिंक्या कवाले   
Last Updated- September 11, 2025 | 7:34 PM IST

पिछले महीने लागू हुए नए ऑनलाइन गेमिंग कानून ने भारत की रियल मनी गेमिंग (RMG) इंडस्ट्री को बड़ा झटका दिया है। इस कानून ने लूडो, पोकर, रमी और फैंटसी स्पोर्ट्स जैसे सभी तरह के रियल मनी गेम्स पर पाबंदी लगा दी। इसके चलते कम से कम चार बड़ी गेमिंग कंपनियों ने अपनी यूनिकॉर्न की हैसियत खो दी। यूनिकॉर्न यानी ऐसी स्टार्टअप कंपनियां, जिनकी वैल्यू 1 बिलियन डॉलर या उससे ज्यादा हो।

ASK प्राइवेट वेल्थ हुरुन इंडिया यूनिकॉर्न एंड फ्यूचर यूनिकॉर्न रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, ड्रीम11, गेम्स24×7, गेम्सक्राफ्ट और मोबाइल प्रीमियर लीग जैसी मशहूर कंपनियां इस कानून की चपेट में आईं। इन कंपनियों की वैल्यूएशन में भारी गिरावट देखी गई। इसके अलावा, जुपी और विनजो गेम्स जैसी कंपनियां, जिनकी वैल्यू क्रमशः 500 मिलियन से 1 बिलियन डॉलर और 200 से 500 मिलियन डॉलर के बीच थी, भी यूनिकॉर्न बनने के अपने सपने को टूटता देख रही हैं।

हुरुन इंडिया के फाउंडर और चीफ रिसर्चर अनस रहमान जुनैद ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि RMG पहले से ही जोखिम भरा बिजनेस था। लेकिन इस तरह के अचानक आए नियमों ने स्टार्टअप्स के हौसले को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स के लिए स्थिर नियमों का होना बहुत जरूरी है। गेमिंग कंपनियों का कहना है कि इस बैन से पहले उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया।

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फिनटेक कंपनियों ने दिखाया दम

दूसरी ओर, भारत में 2025 में 11 नई यूनिकॉर्न कंपनियां सामने आईं। इनमें फिनटेक सेक्टर ने बाजी मारी। नवी टेक्नोलॉजीज, जसपे, विवृति कैपिटल, वेरिटास फाइनेंस और मनीव्यू जैसी फिनटेक कंपनियां नई यूनिकॉर्न की लिस्ट में शामिल हुईं। इसके अलावा, एआई टेक, रैपिडो, नेट्राडाइन, जंबोटेल, डार्विनबॉक्स और ड्रूल्स भी इस साल यूनिकॉर्न बन गए। 2025 में भारत में कुल यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या 73 हो गई।

एएसके प्राइवेट वेल्थ के को-फाउंडर, सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश सलूजा ने कहा कि इस समय डिफेंस और क्लाइमेट जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश हो रहा है। ये दशक के सबसे बड़े थीम बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि जियोपॉलिटिक्स और लीडर्स के इनवर्ड-लुकिंग रवैये से डिफेंस, डीप टेक और स्पेस टेक में मौके बढ़ रहे हैं। साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को सपोर्ट करने वाली डेटा सेंटर जैसी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए भी बड़ा अवसर है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जीरोधा, रेजरपे और लेंसकार्ट भारत की सबसे मूल्यवान यूनिकॉर्न कंपनियां हैं। जीरोधा और रेजरपे की वैल्यूएशन 8.2 बिलियन डॉलर और 7.5 बिलियन डॉलर है।

First Published : September 11, 2025 | 7:34 PM IST