सरकारी स्वामित्व वाली गेल (इंडिया) ने अमेरिका के तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के द्रवीकरण प्लांट (liquefaction plant) या परियोजना में 26 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) जारी किया है। यह कदम भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के किसी उपक्रम द्वारा अमेरिका में ऊर्जा क्षेत्र की किसी परिसंपत्ति को हासिल करने का पहला प्रयास है, जो देश में एलएनजी का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
गुरुवार को कंपनी की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए दस्तावेजों के अनुसार गेल या तो किसी मौजूदा प्लांट में या फिर वर्ष 2026-27 तक चालू होने वाले प्लांट में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए तैयार है। उस वर्ष की अंतिम तिमाही में गेल अस्थायी रूप से एलएनजी की आपूर्ति शुरू करना चाहती है।
कंपनी ने इस अभिरुचि पत्र में कहा है ‘इसके अलावा, गेल सीधे या अपने किसी सहयोगी के जरिये एलएनजी द्रवीकरण प्लांट/परियोजना से 15 साल की अवधि के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य नियमों और शर्तों पर एफओबी आधार पर 10 लाख टन प्रति वर्ष एलएनजी हासिल करना चाहती है।’
कंपनी ने पारस्परिक आधार पर एलएनजी आपूर्ति के लिए अनुबंध की अवधि को 5 या 10 साल और बढ़ाने का विकल्प भी खुला रखा हुआ है। अभिरुचि पत्र जमा करने की आखिरी तारीख 10 मार्च है।
गेल (इंडिया) एलएनजी कार्गो की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका पर निर्भर है। वर्तमान में कंपनी के पास अमेरिका से संयुक्त रूप से 58 लाख टन एलएनजी खरीदने के लिए दो अनुबंध हैं। इनमें मानक आकार के लगभग 90 कार्गो शामिल हैं।
गेल, गैजप्रोम की एक पूर्व व्यापारिक शाखा से होने वाली आपूर्ति को बदलने के लिए जूझ रही थी, जिसने मई, 2022 के बाद से निर्धारित खेपों की डिलिवरी नहीं की है।
वर्ष 2012 में गैजप्रोम की पूर्व सहायक कंपी गैजप्रोम मार्केटिंग ऐंड ट्रेडिंग सिंगापुर (जीएमटीएस) ने गेल को प्रति वर्ष 28.5 लाख टन एलएनजी की आपूर्ति करने के लिए 20 साल का अनुबंध किया था। इस सौदे के तहत आपूर्ति वर्ष 2018 में शुरू हुई थी और वर्ष 2023 में पूरी मात्रा तक पहुंचने की उम्मीद थी।
लेकिन रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद जर्मनी ने अप्रैल में गैजप्रोम जर्मनिया का नियंत्रण जब्त कर लिया। इसके परिणामस्वरूप गैजप्रोम ने बिना किसी स्पष्टीकरण के कंपनी का अपना स्वामित्व छोड़ दिया और प्रतिबंध लगा दिए।
भारत की स्थानीय गैस मांग का 55 प्रतिशत तक हिस्सा आयात के जरिये पूरा किया जाता है। दूसरी तरफ, हालांकि गैस से भारत की ऊर्जा जरूरतों का केवल 6.2 प्रतिशत हिस्सा ही पूरा होता है, लेकिन केंद्र सरकार पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करने के लिए इस आंकड़े को काफी हद तक बढ़ाने की योजना बना रही है।