ब्रांडेड नींबू पानी का बाजार पारा बढ़ने के साथ ही गर्म होता जा रहा है। पेप्सीको और पारले एग्रो के बाद अब इस गर्मी में कोका कोला लेमन ड्रिंक लॉन्च करने जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, नींबू पानी कंपनी की जूस ब्रांड मिनट मेड के तहत ही लॉन्च की जाएगी, जो घरेलू बाजार में ऑरेंज अवतार में पहले से मौजूद है। पिछले साल पेप्सीको 7 अप ब्रांड के तहत नींबूज को लॉन्च कर इस बाजार में उतरी थी। इसके बाद पारले एग्रो ने एलएमएन नींबू पानी ब्रांड उतारकर प्रतिस्पद्र्धा को बढ़ा दिया।
हालांकि पैकेज्ड नींबू पानी का बाजार अभी भी कंपनियों की नजर से ओझल है। ज्यादातर ग्राहक या तो अपने घर पर नींबू पानी पीते हैं या कोई गैर-ब्रांडेड नींबू पानी इस्तेमाल करते हैं। पहले कोला कंपनियां इस क्षेत्र से दूर ही रहा करती थी, क्योंकि नींबू पानी खुद से बनाना भी काफी आसान होता है।
लेकिन शोध के बाद यह पता चली कि पैकेज्ड नींबू पानी की बाजार में काफी मांग है। उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2009 में नींबू पानी का बाजार 1 अरब बोतल का हो जाएगा। 7000 करोड़ रुपये के वेवरेज उद्योग में गैर कार्बोनेटेड सेगमेंट का बाजार, कार्बोनेटेड की तुलना में दुगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। जूस और जूस ड्रिंक का सालाना बाजार 1500 करोड़ रुपये का है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रेडी टू ड्रिंक और कीमत का अगर ध्यान रखा जाए, तो यह बाजार और तेजी से बढ़ेगा। नींबूज 200 मिलीलीटर के रिटर्नेबल ग्लास बोटल (आरजीबी), 350 मिलीलीटर के पीईटी और 200 मिलीलीटर के टेट्रा पैक में क्रमश: 10 रुपये, 15 रुपये और 10 रुपये की कीमत पर उपलब्ध है।
एलएमएन भी 110 मिलीलीटर और 200 मिलीलीटर के टेट्रा पैक में क्रमश: 5 रुपये और 10 रुपये की कीमत पर उपलब्ध है। हालांकि इसकी 500 मिलीलीटर पीईटी की कीमत 23 रुपये है। पेप्सीको और पारले एग्रो ने जैसे ही नींबू पानी के उत्पाद बाजार में उतारे, कुछ ही दिन में यह आउट ऑफ स्टॉक हो गया।
पेप्सीको के एक प्रवक्ता ने कहा कि नींबूज की मांग उम्मीद से अधिक रही है और हमलोग कोशिश करेंगे कि ग्राहकों की उम्मीदों पर आगे भी खरे उतरे। बाजार में नींबू पानी की मांग को देखते हुए कोक भी अब दो चार हाथ आजमाने की कोशिश में है। हालांकि कंपनी सूत्रों का कहना है कि नए उत्पाद के लॉन्च में कुछ देरी हो सकती है।
सूत्रों का कहना है कि कंपनी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि नींबू के उत्पाद बाजार में चलेंगे या नहीं, कहीं ऐसा न हो कि एक दो महीने में मामला ठंडा पड़ जाए।
