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अब उड़ीसा में भी कसेगा शिकंजा

Last Updated- December 09, 2022 | 9:23 PM IST

सत्यम मामले ने अपनी संबंधित कंपनी मायटास इन्फ्रा की ओर से लागू उड़ीसा में परियोजनाओं के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों में इन परियोजनाओं की संबंधित एजेंसियां कड़ी जांच कर रही हैं,


जिन्होंने हैदराबाद की इस कंपनी को ठेका दिया था। मायटास इन्फ्रा कम से कम पांच बड़ी बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं पर इस राज्य में काम कर रही है, जिनकी कुल कीमत लगभग 1,000 करोड रुपये है।

मायटास इन्फ्रा को ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रबंधन और निर्माण) ठेका और बीओपी (बैंलेंस ऑफ प्लांट) ठेका केवीके नीलाचल पावर लिमिटेड से मिला था।

यह कंपनी कटक जिले में कान्डेरी में 1200 मेगावाट क्षमता वाला ताप बिजली संयंत्र लगा रही है, जिसमें लगभग 5,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है।

राज्य ऊर्जा मंत्री एस एन पात्रो का कहना है, ‘मैंने केवीके नीलाचल से संबंधित फाइल और करार मंगाया है और इस बात का अध्ययन करेंगे कि वह मायटास इन्फ्रा से कैसे जुड़ी हुई है।’

केवीके नीलाचल के अधिकारियों को भरोसा है कि मायटास से जुड़े होने से परियोजना की प्रगति पर कोई खास असर पड़ेगा।

केवीके नीलाचल के परियोजना प्रमुख (उड़ीसा) राम चांडिल्य का कहना है, ‘सत्यम मामले का परियोजना की प्रगति से कोई लेना-देना नहीं है। हमने पहले ही उपचारात्मक उपाय ले लिए हैं और ज्यादा से ज्यादा हुआ तो परियोजना में एक या दो सप्ताह के लिए देर हो सकती है।’

राज्यम में मायटास इन्फ्रा की ओर से शुरू की गई दूसरी परियोजनाओं में वेदांत समूह की 232 करोड़ रुपये की झर्सुगुडा टाउनशिप परियोजना और 103 करोड़ रुपये की रेल की दूसरी छोटी पटरी बिछाने की परियोजना, 106 करोड़ रुपये वाली सुबेरनारेख नहर परियोजना के साथ कंपनी की ओर से गंजाम जिले में बहुदा मुहाना पर बंदरगाह बनाने का भी प्रस्ताव है।

मायटास इन्फ्रा को सत्यम से जुड़े होने की वजह से परेशानी हो सकती है। वेंदात एल्युमिनियम लिमिटेड, लांजीगढ़ के मुख्य परिचालन अधिकारी मुकेश कुमार का कहना है, ‘हमने मायटास का रेल की छोटी पटरी बिछाने काम उड़ीसा की एआरएसएस इन्फ्रास्ट्रक्चर को दे दिया है।’

First Published - January 12, 2009 | 11:09 PM IST

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