नेस्कैफे (Nescafe), सेरेलैक (Cerelac) और मैगी (maggi) के प्रोडक्ट्स बेचने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) भारत में 15 बेबी फूड्स में चीनी मिलाने के आरोप में फंसती जा रही है। सरकार की तरफ से सख्त एक्शन की बात और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत नेस्ले के बेबी फूड के सैंपल की जांच होने की खबर आने के बाद आज कंपनी ने सफाई देते हुए कहा है कि उसने पिछले 5 साल में 30 फीसदी से ज्यादा चीनी की कमी की है। बता दें कि इन बेबी फूड्स में चीनी का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स के खिलाफ है।
कंपनी ने कहा, ‘हम नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो का रिव्यू करते हैं और पोषण, गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना, एक्स्ट्रा चीनी के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में इनोवेशन और सुधार जारी रखते हैं।’
बता दें कि हाल ही में द गार्जियन ने स्विस एनजीओ पब्लिक आई (Public Eye) और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) के डेटा का हवाला देते हुए खबर छापी कि नेस्ले (Nestle) भारत सहित कई विकासशील देशों में चीनी और शहद मिलाकर अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री करती है, जबकि वह ऐसा यूरोपीय देशों के साथ नहीं करती है।
IBFAN की रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले करीब 150 विभिन्न बेबी प्रोडक्ट्स का अध्ययन किया गया।
रिपोर्ट में बताया गया कि छह महीने के बच्चों के लिए नेस्ले का गेहूं से बना प्रोडक्ट ‘सेरेलैक’ ब्रिटेन और जर्मनी में बिना किसी एक्स्ट्रा चीनी के बेचा जाता है, जबकि भारत से विश्लेषण किए गए 15 सेरेलैक उत्पादों एक बार के खाने में यानी हर सर्विंग में औसतन 2.7 ग्राम चीनी पाई गई थी।
नेस्ले के इन प्रोडक्ट्स में भारत से भी ज्यादा चीनी थाईलैंड में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट्स में मिली। फिलीपीन में आठ सैंपल में से पांच में चीनी की मात्रा 7.3 ग्राम पाई गई और इसकी जानकारी पैकेजिंग पर भी घोषित नहीं की गई थी। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बेचे जाने वाले इन प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा की डिटेल दी गई थी।
पब्लिक आई और IBFAN के एनालिसिस से पता चलता है कि के अनुसार, नेस्ले ने यूरोप के अपने बाजारों की तुलना में भारत सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचे।
नेस्ले इंडिया ने अपने बयान में कहा कि उसके ‘बेबी ग्रेन प्रोडक्ट्स का निर्माण बच्चों की प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल्स, आयरन आदि जैसी पोषण संबंधी आवश्यकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।’
कंपनी ने कहा, ‘हम अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं और न ही करेंगे। हम अपने उत्पादों की पोषण संबंधी प्रोफाइल को बढ़ाने के लिए लगातार अपने व्यापक ग्लोबल रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट (R&D) नेटवर्क का लाभ उठाते हैं।’
बता दें कि ग्लोबल लेवल पर सेरेलैक एक लीडिंग बेबी फूड ब्रांड है जिसने साल 2022 में 1 अरब डॉलर से ज्यादा की बिक्री की है। खास तौर पर इस बिक्री का करीब 40 प्रतिशत, ब्राजील और भारत के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होता है।
नेस्ले इंडिया के शेयरों में आज भारतीय बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। BSE पर कंपनी के शेयर 3.31 फीसदी लुढ़ककर 2462.75 पर बंद हुए। इंट्रा डे ट्रेड के दौरान इसके शेयर 2409.55 के लो और 2539.35 के हाई लेवल तक पहुंच गए थे।
गौरतलब है कि साल 2015 में भारत में फूड टेस्टिंग करने वाली सरकारी संस्था FSSAI ने नेस्ले के मैगी नूडल्स के सैंपल की जांच की थी। उस जांच में पाया गया है कि इसके मैगी में सीसे की मात्रा ज्यादा थी। जांच के बाद इसकी मैगी पर बैन लगा दिया गया था। बाद में कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स में सुधार किया और फिर से मार्केट में आई। उस दौरान ही कई रोजाना यूज के सामान वाली (FMCG) कंपनियां मार्केट में एंट्री की और अपनी पैठ बना ली।