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Byju’s को NCLAT ने दी 2 बड़ी राहत, BCCI की दिवालिया कार्यवाही पर लगाई रोक; फाउंडर के भाई ने ऐसे चुकाया कर्ज

फैसला सुनाते हुए NCLAT ने कहा कि अगर Byju's तय तारीखों को रकम चुकाने से चूक जाती है तो उसके खिलाफ दिवाला कार्यवाही फिर से शुरू कर दी जाएगी।

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रत्न शंकर मिश्र   
Last Updated- August 02, 2024 | 5:57 PM IST

Byju’s Insolvency proceedings: एक समय भारत की सबसे कीमती एडटेक स्टार्टअप बैजूस (Byju’s) को कंपनी मामलों के कोर्ट नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से एक साथ दोहरी राहत मिली है। NCLAT ने आज बैजूस के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की दिवालिया कार्यवाही को रद्द कर दिया है। NCLAT मे आज अपने फैसले में 158.9 करोड़ रुपये की बकाया रकम को BCCI के साथ सेटल करने के मिए मंजूरी दे दी।

फैसला सुनाते हुए NCLAT ने कहा कि अगर कंपनी तय तारीखों को रकम चुकाने से चूक जाती है तो उसके खिलाफ दिवाला कार्यवाही फिर से शुरू कर दी जाएगी।

अमेरिकी फर्म की भी याचिका खारिज

NCLAT का यह फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिकी फर्म ने कोर्ट से अपील की थी कि बैजूस के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही को रद्द न किया जाए। रॉयटर्स की रिपोर्ट ने जानकारी दी थी कि अमेरिकी फर्म ग्लास ट्रस्ट ने कोर्ट से कहा था कि Byju’s के फाउंडर रवींद्रन बायजू और उसके भाई रिजू ने BCCI का बकाया चुकाने के लिए कर्जदाताओं के 1 अरब डॉलर का इस्तेमाल किया और इसलिए दिवालियापन की कार्यवाही जारी रहनी चाहिए।

NCLAT ने अमेरिकी फर्म ग्लास ट्रस्ट द्वारा लगाए गए बायजू के खिलाफ लगाए गए राउंड-ट्रिपिंग के आरोप को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे इसके लिए कोई सबूत देने में विफल रहे। अगर BCCI मामले में दिवालिया कार्यवाही थम भी जाती और कोर्ट ग्लास ट्रस्ट के पक्ष में फैसला दे देता है तो बैजूस की एसेट यानी संपत्तियां जब्त ही रह जाती। लेकिन, आज के फैसले से एडटेक को दोहरी राहत मिली है।

क्या है Byju’s-BCCI का मामला

बता दें कि पहले क्रिकेट मैचों में Byju’s भारतीय क्रिकेट टीमों के लिए BCCI के साथ स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट के साथ काम करती थी। उस समय कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के स्पॉन्सर के रूप में मोबाइल फोन कंपनी ओपो (OPPO) की जगह ली थी। BCCI ने कहा था कि Byju’s ने अभी उसके करीब 158.9 करोड़ रुपये नहीं चुकाए हैं। BCCI ने पिछले साल बायजूस की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (Think & Learn Pvt Ltd) के खिलाफ बकाया न चुकाने के लिए याचिका दायर की थी।

फाउंडर बैजू रवींद्रन के भाई ने चुकाया कुछ कर्ज

NCLAT ने अपने आदेश में आगे कहा कि पैसे का भुगतान रिजू रवींद्रन (बायजू रवींद्रन के भाई) ने अपने शेयरों की बिक्री के माध्यम से किया था।

चेन्नई की दो सदस्यों की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ‘दिए गए वादे और हलफनामे के मद्देनजर, पार्टियों के बीच समझौते को मंजूरी दे दी गई है और परिणामस्वरूप अपील सफल हो गई है और NCLT की बेंगलूरु बेंच की तरफ से पारित विवादित आदेश को खारिज कर दिया गया है।’

कोर्ट को यह बताया गया कि रिजू रवींद्रन ने 31 जुलाई को Byju’s द्वारा BCCI को दिए गए बकाया के एवज में 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। अन्य 25 करोड़ रुपये शुक्रवार को और बाकी 83 करोड़ रुपये 9 अगस्त को RTGS के माध्यम से जमा किए जाएंगे।

NCLT ने दिया था दिवालिया कार्यवाही शुरू करने का आदेश

गौरतलब है कि 16 जुलाई को NCLT ने Byju’s की पैरेंट कंपनी थिंक ऐंड लर्न के ​खिलाफ BCCI की दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली थी और कहा था कि एडटेक के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू कर दी जाए। NCLT ने पंकज श्रीवास्तव को अंतरिम समाधान पेशेवर (interim resolution professional/IRP) नियुक्त किया था। अंतरिम समाधान पेशेवर लेनदारों की समिति (COC) गठित होने तक कंपनी के कामकाज की देखरेख करता है। लेनदारों की समिति दिवालिया प्रक्रिया में निर्णय लेने वाली संस्था होती है।

कर्ज देने वाले व्य​क्ति या संस्था को IBC के तहत परिचालन लेनदार कहा गया है। इसमें वह व्यक्ति भी शामिल होता है जिसे कानूनी तौर पर ऐसा कोई कर्ज सौंपा गया हो।

First Published : August 2, 2024 | 5:32 PM IST