वैश्विक महामारी के बाद से ही वाहन उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है। आपूर्ति पक्ष की समस्याएं बरकरार अभी खत्म भी नहीं हुई हैं जबकि लागत के मोर्चे पर वाहन कंपनियों के लिए एक अन्य चुनौती पैदा हो गई है। जिंस कीमतों में तेजी के कारण वाहन उद्योग में कच्चे माल की लागत काफी बढ़ चुकी है। इसके अलावा ग्रामीण एवं कस्बाई मांग में सुस्ती होने के घरेलू बाजार में ट्रैक्टर और दोपहिया वाहनों की बिक्री रफ्तार सुस्त पड़ गई है।
वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान वाहन क्षेत्र की विभिन्न श्रेणियों में काफी उम्मीदें दिखीं। खासतौर पर ट्रैक्टर श्रेणी की मांग में सुधार होने के आसार हैं और मात्रात्मक बिक्री भी बेहतर हो सकती है।
वाहन कंपनियां अभी भी चिप किल्लत की समस्या से जूझ रही हैं और रूर-यूक्रेन युद्ध के कारण चिप-सोर्सिंग की स्थिति कहीं अधिक खराब हो गई। हालांकि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इन समस्याओं में सुधार दिखने लगा है। खासतौर पर औद्योगिक धातुओं जैसी कमोडिटी की कीमतों के मामले में। कीमतों में नरमी आने पर मार्जिन को बल मिलेगा।
खेतीबारी से सकारात्मक उत्पादन और बेहतर कृषि वस्तुओं की कीमतें युद्ध से कुछ हद तक प्रेरित हो रही हैं क्योंकि यूक्रेन और रूस वैश्विक बाजार में प्रमुख खिलाड़ी हैं। वैश्विक बाजार में उनकी अनुपस्थिति से अन्य देशों के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं।
वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान ट्रैक्टर की मात्रात्मक बिक्री में मासिक आधार पर सुधार दिख सकता है। घरेलू बाजार में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) की मात्रात्मक बिक्री में 10 फीसदी की वृद्धि दिखने का अनुमान है। एमऐंडएम के प्रबंधन ने मात्रात्मक बिक्री में सालाना आधार पर एकल अंक में वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है जो अब भी वित्त वर्ष 2021 की बिक्री के मुकाबले कम है।
वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कमजोर मांग के बावजूद एमऐंडएम ने कर पश्चात लाभ के मार्चे पर बाजार के अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया है। कंपनी को अन्य स्रोतों से होने वाली आय में सुधार और कर की दरें कम होने से बल मिला। कम उपयोगिता के कारण ट्रैक्टर श्रेणी में मार्जिन को झटका लगा और महंगाई का बोझ हल्का करने के लिए कंपनी ने कीमतों में मामूली वृद्धि की। इसके बावजूद कंपनी की बाजार हिस्सेदारी में 18 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कंपनी ने 17,124 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जो सालाना आधार पर 28 फीसदी अधिक है। जबकि एबिटा मामूली गिरावट के साथ 1,945 करोड़ रुपये रही और एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 11.7 फीसदी से घटकर 11.4 फीसदी रह गया।
शुद्ध समायोजित कर पश्चात लाभ 16.4 फीसदी की वृद्धि के साथ 1,167 करोड़ हो गया। तिमाही आधार पर राजस्व में 12.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और एबिटा में 7.7 फीसदी की वृद्धि हुई लेकिन कर पश्चात लाभ 13.7 फीसदी घट गया।
स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) श्रेणी में मार्जिन काफी उत्साहजनक रहा और प्रबंधन का मानना है कि दोनों श्रेणियों में मांग का रुझान सकारात्मक है। हाल में लॉन्च नई स्कॉर्पियो-एन के साथ एसयूवी के लिए ऑर्डर बुक दमदार है। कम आधार का प्रभाव भी सकारात्मक होना चाहिए। कृषि मशीनरी श्रेणी से भी वृद्धि को रफ्तार मिलनी चाहिए।