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TRAI के मानदंड का ज्यादातर बैंक व बीमाकर्ताओं ने किया पालन

TRAI के दिशानिर्देशों के तहत वाणिज्यिक टेक्सट मेसेज के यूआरएल, एपीके, और ओटीटी लिंक्स का अनिवार्य पंजीकरण, स्पैम और धोखाधड़ी में कमी की उम्मीद

Last Updated- October 02, 2024 | 10:42 PM IST
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सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सभी राष्ट्रीय स्तर के बैंकों, बीमाकर्ताओं और अन्य वित्तीय कंपनियों ने मंगलवार से लागू नए व्हाइटलिस्टिंग यानी रजिस्ट्रेशन के दिशानिर्देशों का अनुपालन किया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अधिकारियों के अनुसार ये संस्थान आमतौर पर अपने उपभोक्ताओं से संपर्क करने के लिए जिन लिंकों का इस्तेमाल करते हैं उनमें से ज्यादातर को रजिस्टर्ड कर दिया गया है।

इसके तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि सेवाओं में कम से कम बाधा हो। दूरसंचार नियामक ने वाणिज्यिक टेक्सट मेसेज से भेजे गए यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर्स (यूआरएल), एंड्रायड पैकेज किट्स (एपीके) और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) लिंक्स के पंजीकरण या व्हाइटलिस्टिंग को अनिवार्य कर दिया था।

यूआरएल असल में वेबसाइट के लिंक या इंटरनेट के यूनिक रिसोर्सज के एड्रेस होते हैं जबकि एपीके एंड्रायड एप्लीकेशन को इंस्टाल करने और रन करने की एक्जिक्यूटिव फाइल होती हैं। ट्राई के अधिकारी ने कहा, ‘सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों, बीमाकर्ताओं और वित्तीय कंपनियों ने ज्यादातर प्रासंगिक लिंक्स को पंजीकृत किया है और यह प्रक्रिया जारी है।’

उन्होंने कहा, ‘इनसे सेवाओं में न्यूनतम बाधा हो सकती है लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पंजीकरण की गति बढ़ेगी।’ पहले इसकी समयसीमा 1 सितंबर तय की गई थी, लेकिन बाद में नियम पालन के लिए फर्मों को अधिक समय देने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया गया।

इस कदम से स्पैम और आशंकित धोखाधड़ी उल्लेखनीय रूप से कम होने की उम्मीद है क्योंकि कई इस्तेमालकर्ता अनजाने में हैकरों के फिशंग टूल्स के लिंक्स पर क्लिक कर देते हैं। हालांकि इस कवायद में यह चिंता बनी हुई है कि बैंकों, वित्तीय संस्थानों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उपभोक्ताओं को सेवा संदेश, लेनदेन अलर्ट और वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मिलने पर कुछ रुकावट का अनुभव करना पड़े।

ट्राई ने कहा है कि वह व्हाइटलिस्टिंग मानदंडों को लागू करने करने के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों से जानकारी प्राप्त करेगा। इसके पहले दूरसंचार कंपनियां केवल कारोबारी फर्मों-प्रतिष्ठानों आदि से भेजी गई मेसेज हेडर और टेम्पलेट्स को ही प्रमाणित करती थीं। लेकिन अब उन्हें बिना व्हाइटलिस्टिंग वाले लिंक्स भेजने से रोक दिया गया है। ज्यादातर बैंकों और बीमाकर्ताओं ने मानदंडों के पालन की पुष्टि की है लेकिन उन्होंने स्वीकारा है कि इस आदेश के कुछ उपबंधों को लेकर भ्रम है।

First Published - October 2, 2024 | 10:42 PM IST

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