केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के बोर्ड को रणनीतिक विनिवेश, अल्पांश हिस्सेदारी बेचने या सहायक उपक्रमों और संयुक्त उपक्रमों को बंद करने की सिफारिश का अधिकार देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इस समय पीएसयू बोर्ड को इक्विटी निवेश करने, कुल पूंजी के कुछ प्रतिबंधों के साथ विलय व अंधिग्रहण पर फैसले लेने का अधिकार है। बहरहाल विनिवेश और अपनी सहायक इकाइयों की बंदी करने की शक्तियां बोर्ड को नहीं है। कुछ पीएसयू को अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री का सुझाव देने का काम दिया गया है।
रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया खुली होगी और यह प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर होगी। इसके लिए विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) दिशानिर्देश तैयार करेगा। पीएसयू की बंदी के लिए दिशानिर्देश सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) दिशानिर्देश जारी करेगा।
रणनीतिक विनिवेश, अल्पांश हिस्सेदारी बेचने, सहायक इकाइयों को बंद करने और मूल पीएसयू के संयुक्त उपक्रमों मे हिस्सेदारी की बिक्री पर फैसला करने के लिए मंत्रिमंडल ने वैकल्पिक व्यवस्था भी दी है, जिसके तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और प्रशासनिक मंत्रालय के मंत्री को मिलकर सैद्धांतिक मंजूरी देने का अधिकार होगा।
यह कदम केंद्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) की नीति, 2021 के अनुरूप है, जिसमें रणनीतिक औऱ गैर रणनीतिक दोनों ही क्षेत्रों में सरकार की मौजूदगी कम करने की बात कही गई है। पीएसयू बोर्ड को व्यापक स्वायत्तता की अनुमति दी जानी है, जिससे वे फैसले कर सकें और सहायक इकाइयों या संयुक्त उपक्रम में से समय से अपना निवेश निकालने की सिफारिश कर सकें। इससे उन्हें अपने निवेश के मौद्रीकरण या इस तरह की घाटे वाली इकाइयों को बंद करने में मदद मिल सकेगी। केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा है कि इससे निर्णय लेने में भी तेजी लाने में मदद मिलेगी और इससे परिचालन और वित्तीय व्यय में कमी आएगी।
2018 में सार्वजनिक उद्यमों पर बनी एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पीएसयू बोर्ड को पर्याप्त अधिकार होना चाहिए, जिससे वह करीब सभी रणनीतिक फैसले जैसे साझेदारी बनाने या खत्म करने, संयुक्त उद्यम बनाने, विलय एवं अधिग्रहण, सीईओ की नियुक्ति, बोर्ड के नीचे के स्तर के पदों के सृजन के साथ अन्य काम कर सके। समिति ने यह भी कहा था कि बोर्ड का नियत कार्यकाल होना चाहिए, जिससे वह ज्यादा जवाबदेह हो और प्रशासनिक विभाग द्वारा निश्चित रूप से उसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
