इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (इंड-रा) को ऋण वृद्धि वित्त वर्ष 25 के मुकाबले वित्त वर्ष 26 में मामूली बढ़कर 13 से 13.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। हालांकि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और खुदरा क्षेत्र को ऋण देने में निरंतर मंदी के साथ ऋणों की संरचना में बदलाव की उम्मीद है। रेटिंग एजेंसी को निजी पूंजीगत व्यय से इस गिरावट की भरपाई होने का अनुमान है। इससे कॉरपोरेट क्षेत्र की वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
इंड-रा के वित्तीय संस्थानों के निदेशक व प्रमुख करण गुप्ता ने कहा, ‘प्रणाली में सतत सुधार, रीपो दर और नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में गिरावट होने से अल्पावधि ऋण वृद्धि को मदद मिलने की उम्मीद है। अभी सालाना आधार पर ऋण वृद्धि गिरकर करीब नौ प्रतिशत रह गई है।’
अप्रैल, 2025 में ऋण वृद्धि 9.9 प्रतिशत थी और और इसमें 2024 के 19.4 प्रतिशत की तुलना में उल्लेखनीय गिरावट आई थी। यह गिरावट मुख्य तौर पर उच्च आधार प्रभाव और खुदरा व एनबीएफसी की धीमी वृद्धि के कारण आई थी।
इंड-रा ने अप्रैल 2025 के आंकड़ों से सालाना आधार 9.9 प्रतिशत ऋण वृद्धि का अनुमान जताया। इसमें खुदरा खंड की हिस्सेदारी 34.6 प्रतिशत, सेवा क्षेत्र का 29.8 प्रतिशत, उद्योग का 22.6 प्रतिशत और कृषि का 13.4 प्रतिशत है। अप्रैल में खुदरा ऋण खंड में असुरक्षित खुदरा ऋण की हिस्सेदारी में सालाना आधार पर 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इंड-रा के अनुसार अप्रैल में सेवा क्षेत्र में एनबीएफसी की 2.9 प्रतिशत की धीमी वृद्धि हुई।