घरेलू बाजार में यात्री कारों की बिक्री भले ही घट रही हो, लेकिन निर्यात के मोर्चे पर उसकी रफ्तार बढ़ रही है। मेक्सिको और अफ्रीका जैसे देशों में सस्ती कारों की मांग बढ़ने से निर्यात को बल मिल रहा है। इन देशों में लोगों की खर्च करने की क्षमता लगातार बेहतर हो रही है, मगर कीमत के मामले में वे काफी संवेदनशील हैं।
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच यात्री कारों का निर्यात एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 8.5 फीसदी बढ़ गया जबकि घरेलू बिक्री 8.5 फीसदी घट गई। यह घरेलू बाजार में कमजोर मांग का संकेत है।
मारुति सुजूकी के निर्यात में इस दौरान 37 फीसदी और ह्युंडै मोटर इंडिया के निर्यात में 12.45 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यात्री वाहनों में कार और यूटिलिटी वाहन दोनों शामिल हैं।
मारुति यात्री कार श्रेणी में स्विफ्ट, बलेनो, डिजायर आदि मॉडल का निर्यात करती है। अप्रैल से अगस्त के बीच उसने निर्यात में 43 फीसदी की भारी वृद्धि दर्ज की। ह्युंडै ने भी यात्री कार के निर्यात में करीब 16 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। वह भारत से आई10 निओस का निर्यात करती है। मगर इस दौरान घरेलू बाजार में ह्युंडै की यात्री कारों की बिक्री में करीब 16 फीसदी घट गई। मारुति की यात्री कारों की घरेलू बिक्री में भी 6.4 फीसदी की गिरावट आई।
मारुति सुजूकी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी राहुल भारती ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘दिलचस्प है कि हमारे शीर्ष 5 निर्यात मॉडलों में सभी चार मीटर से कम लंबाई वाले हैं। इससे स्पष्ट है कि वैश्विक स्तर पर ग्राहक कॉम्पैक्ट कारों को पसंद कर रहे हैं। ग्राहक समझते हैं कि छोटी कारों का पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है और इससे सड़क पर भीड़ कम करने में भी मदद मिलती है।’
वित्त वर्ष 2026 में मारुति के शीर्ष 5 निर्यात मॉडलों में फ्रोंक्स, जिम्नी, स्विफ्ट, बलेनो और डिजायर शामिल हैं। इनके शीर्ष 5 बाजारों में जापान, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका शामिल हैं। छोटी कारों के निर्यात के मामले में ह्युंडै के लिए भी लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
ह्युंडै मोटर इंडिया के पूर्णकालिक निदेशक एवं सीओओ तरुण गर्ग ने कहा, ‘हमारी छोटी कारें विशेष रूप से आई10 निओस दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको और चिली जैसे बाजारों में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। वहां के ग्राहक ह्युंडै की उन्नत सुविधाओं, गुणवत्ता और प्रीमियम डिजाइन को काफी महत्त्व देते हैं।’
एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के निदेशक (मोबिलिटी फोरकास्ट इंडिया ऐंड आसियान रीजन) पुनीत गुप्ता ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर कॉम्पैक्ट एवं सस्ती कारों के उत्पादन में भारतीय विशेषज्ञता ने एक दमदार विनिर्माण आधार तैयार किया है। यह भारत को छोटी कारों की वैश्विक मांग के लिए एक स्वाभाविक निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करता है।’
गुप्ता ने कहा, ‘अफ्रीका और मेक्सिको जैसे देशों में लोगों की खर्च करने की क्षमता लगातार बढ़ रही है। मगर वे कीमतों के प्रति काफी संवेदनशील हैं। यही कारण है कि सस्ती एवं भरोसेमंद कारों की मांग बढ़ रही है। भारत इस मांग को पूरा करने और छोटी कारों के लिए दुनिया का कारखाना बनने के लिए तैयार है।’ गर्ग ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए वह 7 से 8 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य रख रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे अधिकांश निर्यात बाजार में स्थिरता और लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। अप्रैल से अगस्त 2025 तक हमने निर्यात में 12.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और अब हम 8 फीसदी वृद्धि के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।’
मारुति वित्त वर्ष 2022 से ही कार निर्यात करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है। भारती ने कहा कि कंपनी इस रफ्तार को जारी रखने के लिए योजना बना रही है। यात्री वाहनों के कुल निर्यात में मारुति की हिस्सेदारी फिलहाल 46 फीसदी से अधिक है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा इस साल 4,00,000 वाहनों के निर्यात का लक्ष्य है। हमारा खरखोदा कारखाना शुरू हो गया है। गुड़गांव, मानेसर, गुजरात और खरखोदा के साथ बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त क्षमता है।’
भारती ने कहा कि मारुति का निर्यात काफी विविधतापूर्ण है और वह दुनिया के 100 से अधिक देशों में निर्यात करती है। कंपनी के यूटिलिटी व्हीकल का भी प्रदर्शन भी काफी अच्छा दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल हमने फ्रोंक्स और जिम्नी के साथ जापान को निर्यात शुरू किया था। इस साल हमने ई-विटारा के साथ यूरोप में दस्तक दी है।’
ह्युंडै का भी मानना है कि छोटी कारों के अलावा एक्सटर, वेन्यू, क्रेटा व अल्कजर जैसे उसके एसयूवी मॉडल भी निर्यात में पर्याप्त योगदान करते हैं।