बीएस बातचीत
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी धीरज रेली का कहना है कि दुनियाभर के बाजार कोविड के बाद वृद्घि के पटरी पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं और मौजूदा तथा संभावित नकारात्मक घटनाक्रम को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने ऐश्ली कुटिन्हो के साथ बातचीत में कहा कि कमजोर अमेरिकी डॉलर से भारत के व्यापार और चालू खाते की स्थिति सुधारने के साथ साथ एफपीआई प्रवाह बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
मार्च में गिरावट के बाद अप्रैल से सुधार आया। क्या आप बाजार में हुई तेज वापसी को लेकर आश्चर्यचकित हैं?
हालांकि हमें बाजार के शुरुआती झटके से उबरने का अनुमान था, लेकिन जिस तेजी से इसमें सुधार देखा गया, उसने हमें आश्चर्यचकित किया है। केंद्रीय बैंकों द्वारा आसान मौद्रिक नीतियों पर अमल और सरकार द्वारा अपनाए गए वित्तीय राहत उपायों से कुछ हद तक आर्थिक वृद्घि पर कोविड-19 के नकारात्मक प्रभाव की भरपाई में मदद मिली है। दुनियाभर के बाजार कोविड के बाद वृद्घि बहाली की संभावना देख रहे हैं और अभी से ही उस परिदृश्य को भुना रहे हैं। इस प्रक्रिया में, मौजूदा और संभावित नकारात्मक घटनाक्रम की अनदेखी हो रही है। यदि कोरोना वैक्सीन की खोज में अक्टूबर के बाद भी विलंब होता है या कोविड-19 महामारी फिर से गहराती है तो हम बाजार में बड़ी गिरावट देख सकते हैं।
ताजा जीडीपी आंकड़ों पर आपका क्या नजरिया है?
जून तिमाही के जीडीपी आंकड़े सालाना आधार पर -23.9 के साथ अनुमान के मुकाबले बेहद खराब रहे हैं। बार बार लॉकडाउन का भी इन आंकड़ों पर प्रभाव पड़ा है। आरबीआई के पास वृद्घि को बढ़ाने के लिए सीमित उपाय रह गए हैं और अब राजकोषीय उपायों के जरिये खपत बढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार पर है। रोजगार में गिरावट और ज्यादा बचत की प्रवृत्ति की वजह से मांग घटी है और यह वित्त वर्ष 2021 के शेष समय के लिए एक बड़ी चिंता हो सकती है। अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए मौद्रिक और वित्तीय उपाय अब तक नाकाफी साबित हुए हैं। नीति निर्माताओं के लिए कुछ नया सोचना बदलाव लाने के लिए जरूरी है।
आय वृद्घि की संभावना कमजोर बनी हुई है, और क्या निवेशकों को लगता है कि उन्हें वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के आय अनुमानों के आधार पर अपने फैसले लेने होंगे? वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2021 के संदर्भ में भारतीय उद्योग जगत के लिए आय वृद्घि को लकर आपका क्या अनुमान है?
हालांकि कोविड-19 प्रसार के बाद वित्त वर्ष 2021 की आय को लेकर काफी चिंताएं थीं, लेकिन जून तिमाही की आय ने कुछ मोर्चों पर सकारात्मक तौर पर आश्चर्यचकित किया है। लागत नियंत्रण उपायों, कम प्रतिस्पर्धा के बीच मूल्य निर्धारण क्षमता में सुधार, कुछ क्षेत्रों (स्टैपल्स, पेंट, चुनिंदा ऑटो, सीमेंट, बीमा, आईटी धातु, ऊर्जा समेत) में मांग सुधरने से मार्जिन आईटी, सीमेंट, फार्मा, स्टैपल्स जैसे कई क्षेत्रों में अनुमानों के मुकाबले बेहतर रहा है। निफ्टी की आय के लिए वित्त वर्ष 2020 के 408 रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2021 का 402 रुपये का अनुमान पूरा हो सकता है। वित्त वर्ष 2022 के लिए, अनुमान से निचले आधार पर 575 रुपये की अच्छी तेजी का पता चलता है। हालांकि हमारा मानना है कि जैसा कि पहले देखा गया, विश्लेषकों को वित्त वर्ष 2022 के अनुमानों में कमी करने की जरूरत नहीं हो सकती है। अर्थव्यवस्था के लिए रिकवरी का आकार यू या डब्ल्यू हो सकता है, हालांकि मौजूदा समय में इस आकार के बारे में अभी सही तरीके से कुछ बता पाना जल्दबाजी होगी।
भारतीय बाजार में रिटेल भागीदारी पिछले कुछ सप्ताहों में बढ़ी है। आपका इस ट्रेंड के बारे में क्या कहना है?
लॉकडाउन लागू होने के बाद खुदरा भागीदारी में इजाफा हुआ है। इसके पीछे कई कारक हैं। कर्मचारियों द्वारा घर से काम किए जाने से उनके पास शेयरों पर नजर रखने का समय मिला और उन्होंने तेजी से कमाई के लिए शेयरों तथा एफऐंडओ पर ध्यान दिया है। तेजी के बाजार ने उन्हें कमाई करने में मदद की है।