बीएस बातचीत
कोविड संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के साथ साथ मुद्रास्फीति की चिंताओं ने इक्विटी बाजार की तेजी को नियंत्रित बनाए रखा है। टाटा म्युचुअल फंड में इक्विटी के लिए मुख्य निवेश अधिकारी राहुल सिंह ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि जहां तक भारत का वाल है, मुद्रास्फीति और बॉन्ड प्रतिफल की रफ्तार इक्विटी मूल्यांकन के लिए सबसे बड़े जोखिम होंगे। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
2021 के शेष समय के लिए बाजार के संदर्भ में आपका नजरिया क्या है?
मुख्य मूल्यांकन 10 वर्षीय ऐतिहासिक दायरे के मुकाबले 10-15 प्रतिशत ऊपर है, लेकिन इसे पिछले दशक में हमारे द्वारा दर्ज प्रतिफल के मुकाबले कम बॉन्ड प्रतिफल से मदद मिली है। कुल मिलाकर, बाजार अपने उचित मूल्यांकन के आसपास दिख रहा है, इसलिए बाजार प्रतिफल मध्यावधि आय प्रदर्शन पर केंद्रित होगा।
वैश्विक रूप से और भारत में तरलता की स्थिति के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
मुद्रास्फीति जोखिम और बॉन्ड प्रतिफल पर इसका प्रभाव इक्विटी मूल्यांकन के लिए सबसे बड़ा जोखिम बना हुआ है। मध्यावधि के दौरान, बॉन्ड प्रतिफल नियंत्रित करने के प्रयास से ईएम मुद्राओं (भारत समेत) को मदद मिल सकेगी, जिससे ईएम के लिए नकदी प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा। ईएम में भारत का रुख आय परिदृश्य और सरकारी नीति पर निर्भर करेगा।
वर्ष 2021 में अब तक आपकी निवेश रणनीति कैसी रही है?
हमारा निवेश पोर्टफोलियो 12 महीने पहले के मुकाबले अब ज्यादा विविधीकृत है, क्योंकि हम आय सुधार के कई कारक देख रहे हैं। इसके अलावा इस सुधार की अवधि में इजाफा होने का भी संकेत देख रहे हैं, क्योंकि इसे निजी क्षेत्र और घरेलू (रियल एस्टेट) दोनों में निवेश चक्र में बदलाव से मदद मिल रही है। इसलिए पोर्टफोलियो चक्रीयता संबंधित सुधार पर केंद्रित हैं।
क्या निवेशकों को आर्थिक रिकवरी थीम में खरीदारी करनी चाहिए या तीसरी लहर की आशंका के बीच इससे दूर बने रहना चाहिए?
दूसरी लहर का प्रभाव आर्थिक गतिविधि पर प्रबंधन योग्य था, भले ही हमें अभी भी खपत पर आय नुकसान के दीर्घावधि प्रभाव का आकलन करने की जरूरत है। दूसरी लहर का एक परिणाम यह है कि चिकित्सा ढांचा तीसरी लहर से ज्यादा बेहतर मुकाबले में सक्षम होगा। यदि तीसरी लहर में विलंब हुआ, तो टीकाकरण अभियान से यह सुनिश्चित होगा कि प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या पोर्टफोलियो में बदलाव के लिहाज से निवेशकों के लिए यह अच्छा समय है?
पूंजीगत खर्च चक्र में सुधार दिलचस्प चरण में रह सकता है, क्योंकि कंपनियों की बैलेंस शीट और नकदी प्रवाह में सुधार की मदद से सभी क्षेत्रों में सुधार देख रहे हैं। इनमें धातु एवं खनन क्षेत्र मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके अलावा, पीएलआई योजना की सफलता और स्वचालन/रोबोटिक्स की दिशा में बदलाव भी पूंजीगत खर्च वृद्घि में मददगार हैं। उद्योग, पूंजीगत वस्तु और निर्माण क्षेत्र एक या दो साल में महत्वपूर्ण क्षेत्र के तौर पर उभर सकते हैं। दूसरी तरफ, अव्यवस्थित और असंगठित क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि उसे कोविड के दौरान संगठित क्षेत्र के हाथों बाजार भागीदारी गंवानी पड़ी है और इससे असंगठित क्षेत्र में रोजगार की रफ्तार प्रभावित हुई। इसलिए, खपत पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी, खासकर उपभोक्ता क्षेत्र में महंगे मूल्यांकन को देखते हुए।
विनिवेश एजेंडे की पृष्ठभूमि में आप सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को किस नजरिये से देख रहे हैं?
सरकार के लिए अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और निजीकरण इन विकल्पों में शामिल है, जबकि परिसंपत्ति विनिवेश की दिशा में भी काम हो रहा है। इसके अलावा, जिंस जैसे कुछ खास क्षेत्र चक्रीयता सुधार से गुजर रहे हैं। यूटिलिटीज जैसे क्षेत्र ईएसजी संबंधित दबाव से मुकाबले की कोशिश कर रहे हैं। हमारा मानना है कि इसलिए पीएसयू अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
आप लार्ज-कैप रक्षात्मक दांव में और संभावना देख रहे हैं?
व्यवसायों के डिजिटलीकरण की वजह से आईटी सेवा क्षेत्र को भारी खर्च से मदद मिल रही है और भारतीय कंपनियां इसका लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। कंपनियों ने कोविड को ध्यान में रखते हुए क्षमता निर्माण पर विशेष जोर दिया।