Telecom equipment production: टेलीकॉम उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ने एक नया मील का पत्थर पार कर लिया है। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग की बिक्री 50 हजार करोड़ रुपये के पार निकल गई है।
केंद्र सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि तीन वर्षों के भीतर, टेलीकॉम पीएलआई योजना ने 3,400 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है। टेलीकॉम उपकरण का उत्पादन 50,000 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर को पार कर गया है, जिसमें लगभग 10,500 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। इससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं।
केंद्र ने कहा कि इस योजना के तहत कुल 17,800 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुईं। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि यह उपलब्धि भारत के टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग उद्योग की सुदृढ बढ़ोतरी और प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करती है। यह सफलता सरकारी योजनाओं के माध्यम से मिली है, क्योंकि सरकार ने स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन दिया और आयात निर्भरता को कम करने के लिए पहल की। इस योजना ने देश में उत्पादन, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात को बढ़ावा दिया है।
‘बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग’ के लिए पीएलआई योजना मोबाइल फोन और उनके घटकों के निर्माण को कवर करती है। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप तैयार किया गया है। पीएलआई योजना का उद्देश्य घरेलू मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ाना और भारत को टेलीकॉम उपकरण उत्पादन का ग्लोबल केंद्र बनाना है। यह योजना भारत में निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री के आधार पर निर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान करती है।
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस पीएलआई योजना के परिणामस्वरूप, भारत से मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात दोनों में काफी तेजी आई है। 2014-15 में भारत, मोबाइल फोन का एक बड़ा आयातक था। उस समय देश में केवल 5.8 करोड़ यूनिट का उत्पादन होता था, जबकि 21 करोड़ यूनिट का आयात होता था, लेकिन सरकारी पहलों के माध्यम से 2023-24 तक, कहानी पूरी तरह से पलट गई है। 2023-24 में भारत में 33 करोड़ यूनिट का उत्पादन हुआ और केवल 0.3 करोड़ यूनिट का आयात हुआ और लगभग 5 करोड़ यूनिट का निर्यात हुआ।
मोबाइल फोन के निर्यात का मूल्य 2014-15 में 1,556 करोड़ रुपये और 2017-18 में केवल 1,367 करोड़ रुपये था। यह 2023-24 में बढ़कर 1,28,982 करोड़ रुपये हो गया है। 2014-15 में मोबाइल फोन का आयात 48,609 करोड़ रुपये का था, जो 2023-24 में घटकर मात्र 7,665 करोड़ रुपये रह गया है।
पीएलआई योजना और टेलीकॉम विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित अन्य संबंधित पहलों के परिणामस्वरूप, टेलीकॉम आयात और निर्यात के बीच का अंतर काफी कम हो गया है। निर्यात की गई वस्तुओं (टेलीकॉम उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर) का कुल मूल्य 1.49 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में आयात 1.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
केंद्र ने पिछले पांच वर्षों में टेलीकॉम सेक्टर (टेलीकॉम उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर) के व्यापार घाटे में 68,000 करोड़ रुपये से 4,000 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय कमी दर्ज की है।
बता दें कि टेलीकॉम उपकरणों में रेडियो, राउटर और नेटवर्क उपकरण जैसी जटिल वस्तुएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने कंपनियों को 5G उपकरण बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त लाभ दिए है। भारत में निर्मित 5G टेलीकॉम उपकरण वर्तमान में उत्तरी अमेरिका और यूरोप को निर्यात किए जा रहे हैं।
पीएलआई योजना की मदद से भारतीय निर्माता वैश्विक स्तर पर तेजी से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं तथा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रस्तुत कर रहे हैं।