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महाराष्ट्र के कर से बियर पर असर, खपत पर दिखेगा प्रभाव

हाल के वर्षों में बियर पर उत्पाद शुल्क में 30 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिससे महाराष्ट्र में हार्ड स्पिरिट की तुलना में बियर काफी महंगी हो गई है।

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शार्लीन डिसूजा   
Last Updated- October 13, 2023 | 11:07 PM IST

महाराष्ट्र में बियर की खपत स्थिर बनी हुई है, जबकि भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) की खपत पिछले नौ साल के दौरान लगातार बढ़ी है। उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार बियर की खपत में इस नरमी के लिए कराधान में बार-बार होने वाले बदलावों को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिसने मूल्य निर्धारण और अल्कोहल युक्त पेय पदार्थ (अल्कोबेव) उद्योग दोनों को ही प्रभावित किया है।

उद्योग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में ज्यादा खपत वाली स्ट्रॉन्ग बियर (650 मिली) की अधिकतम खुदरा कीमत वर्ष 2013-14 से 2021-22 तक 64 प्रतिशत बढ़ चुकी है, जबकि अ​धिक खपत वाली आईएमएफएल (180 मिली) की कीमत में इसी अवधि के दौरान केवल 10 से 20 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

एबी इनबेव इंडिया के प्रवक्ता ने कहा ‘महाराष्ट्र को मुंबई, पुणे, ठाणे, नागपुर और ना​शिक जैसे कई शहरी केंद्रों का गौरव हासिल है, जहां बियर जैसा कम अल्कोहल वाला पेय पसंदीदा विकल्प बना हुआ है। दुर्भाग्य से हाल के वर्षों में बियर पर उत्पाद शुल्क में 30 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिससे महाराष्ट्र में हार्ड स्पिरिट की तुलना में बियर काफी महंगी हो गई है।’

प्रवक्ता ने कहा कि अलग-अलग कर संरचना से वहन करने की श​क्ति भी बढ़ती है और इसके परिणामस्वरूप राज्य के लिए राजस्व में वृद्धि होती है। हम महाराष्ट्र में नीति निर्माताओं से बियर के लिए कर के अलग स्तर पर विचार करने का आग्रह करते हैं। खास तौर अन्य राज्यों ने बियर पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया है और खुदरा बिक्री में राहत दी है। उदाहरण के लिए हरियाणा ने सुपर माइल्ड बियर और ड्राफ्ट बियर पर उत्पाद शुल्क कम कर दिया है।

साथ ही इसने विशेष रूप से बियर और वाइन परोसने वाले पब के लिए लाइसेंस शुल्क 20 प्रतिशत तक कम कर दिया है। इसके अलावा यह बड़े कार्यालयों (जिनमें 5,000 से अधिक कर्मचारी होते हैं और एक ही परिसर में न्यूनतम 1,00,000 वर्ग फुट का कवर्ड एरिया होता है) में कर्मचारियों को बियर, वाइन और कम अल्कोहल वाले अन्य पेय पदार्थों का उपभोग करने की अनुमति देता है।

पंजाब और उत्तराखंड ने बियर को और अधिक सुलभ बना दिया है, जबकि ओडिशा और राजस्थान ने वर्ष 2023-24 के लिए बियर पर अपरिवर्तित उत्पाद शुल्क बरकरार रखा है।

उत्तराखंड ने डिपार्टमेंट स्टोर और मॉल में भारत में निर्मित बियर बेचने की भी अनुमति दे दी है। यह विशेषाधिकार पहले आयातित बियर के लिए ही आरक्षित था। पंजाब ने तो ‘बियर-ओनली’ खुदरा दुकानें खोलने की योजना की भी घोषणा की है। इसके विपरीत ओडिशा ने बियर पर शुल्क अपरिवर्तित रखते हुए शराब पर उत्पाद शुल्क 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।

हिमाचल प्रदेश ने बियर पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है लेकिन शराब और बियर के बीच उत्पाद शुल्क का अंतर बढ़ा दिया है। वर्तमान में बियर पर उत्पाद शुल्क 13 प्रतिशत है, जबकि शराब पर 18 प्रतिशत कर लगता है।

अन्य राज्यों में इन परिवर्तनों के बावजूद महाराष्ट्र ने बियर पर अ​धिक कर लगा रखा है, जिससे उपभोक्ता शराब का विकल्प चुनते हैं। मात्रा के लिहाज से इसमें आम तौर पर 40 प्रतिशत से अ​धिक अल्कोहल होता है और यह बियर की तुलना में अधिक सस्ती होती है, जिसमें आम तौर पर अल्कोहल की मात्रा पांच से आठ प्रतिशत रहती है।

First Published : October 13, 2023 | 11:07 PM IST