इंजीनियरिंग क्षेत्र के समूह लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने आज कहा कि उसे पश्चिम एशिया में बिजली पारेषण और वितरण कारोबार के लिए 10,000 से 15,000 करोड़ रुपये तक के नए ऑर्डर मिले हैं। एक विज्ञप्ति में कंपनी ने कहा कि उसके पावर ट्रांसमिशन ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन (पीटीऐंडडी) कारोबार को पश्चिम एशिया में उच्च वोल्टेज स्तर पर बिजली ग्रिडों के विस्तार और मजबूत बनाने के लिए ये ऑर्डर मिले हैं।
ये ऑर्डर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में हासिल किए गए हैं, जो इन इंटरकनेक्शन से जुड़े ±500 केवी एचवीडीसी ट्रांसमिशन लिंक, सऊदी अरब में दो 380 केवी ओवर-हेड ट्रांसमिशन लाइन और एक बल्क सप्लाई 380 केवी गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन तथा यूएई में दो प्रमुख 400 केवी गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन से जुड़े हैं।
जून तक एलऐंडटी के पास 4.90 लाख करोड़ रुपये की बकाया ऑर्डरबुक थी। इसमें से 35 प्रतिशत ऑर्डर पश्चिम एशिया से थे। एलऐंडटी के अधिकारियों ने पहले बताया था कि पश्चिम एशिया में उसकी गतिविधियों के महत्वपूर्ण भाग में सऊदी अरब के ऑर्डर शामिल हैं। महीने की शुरुआत में एलऐंडटी ने कहा था कि उसने अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स श्रेणी के भीतर अपने पावर ट्रांसमिशन ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन (टीऐंडडी) कारोबार से रिन्यूएबल ईपीसी के लिए एक अलग कारोबारी क्षेत्र बनाया है।
एलऐंडटी के पूर्णकालिक निदेशक और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (यूटिलिटीज) टी माधव दास ने कहा, ‘पारेषण प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण सुरक्षित, मजूबत ग्रिड स्थापित करने में सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है, जो उभरते ऊर्जा बाजार में परिवर्तनीय अक्षय उत्पादन को संभालने में सक्षम होता है।’
एलऐंडटी ने इस भोगौलिक क्षेत्र से अपने कुछ सबसे बड़े ऑर्डरों की सूचना दी है। सितंबर 2023 में कंपनी ने सऊदी अरामको की गैस-उत्पादन परियोजना से संबंधित एक पैकेज हासिल किया था, जिसका संयुक्त मूल्य 3.9 अरब डॉलर (उस समय 83.22 रुपये प्रति डॉलर की विनिमय दर पर 32,455 करोड़ रुपये के बराबर) था, जो मूल्य के लिहाज से हाल के दिनों में एलऐंडटी को अब तक मिले सबसे बड़े ऑर्डर में से एक था।
एलऐंडटी ने कहा कि जुलाई में उसे पश्चिम एशिया में सौर प्लांट के लिए एक बड़ा ऑर्डर मिला। इससे पहले जनवरी में एलऐंडटी ने कहा था कि उसे भारत में मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना की इलेक्ट्रिफिकेशन प्रणाली का निर्माण करने के लिए एक बड़ा ऑर्डर मिला है। कंपनी हासिल किए गए ऑर्डर के सटीक मूल्य का खुलासा नहीं करती है, इसके बजाय वह एक सीमा बताती है। कोई बड़ा ऑर्डर 10,000 से 15,000 करोड़ रुपये की सीमा वाले ऑर्डर का सूचित करता है।