भारत इस साल मार्च तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल कर चुका है। इस मामले के कई जानकार सूत्रों के मुताबिक अब भारत वर्ष 2030 तक 30 फीसदी एथनॉल मिश्रण के नए लक्ष्य को पेश करने की तैयारी में है। शुरुआती दौर में 2030 तक 20 फीसदी का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन बाद में इस अवअवधि को घटाकर 2024-25 एथनॉल आपूर्ति वर्ष (1 नवंबर से 31 अक्टूबर) कर दिया गया। एथनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2023-24 में पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण औसतन 14.6 फीसदी पर पहुंच गया था। यह ईएसवाई 2022-23 के 12.06 फीसदी की तुलना में महत्त्वपूर्ण वृद्धि थी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अंतरमंत्रालयी विचार-विमर्श में राष्ट्रीय मिश्रण के लक्ष्य को इस दशक के अंत तक बढ़ाकर 30 फीसदी करने पर सहमति हुई।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने बीते 10 वर्षों में एथनॉल मिश्रण कर करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की है और इस क्रम में 193 लाख टन कच्चे तेल की जगह एथनॉल का मिश्रण किया गया है। इंडियन शुगर ऐंड बॉयो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण के कारण बीते 10 वर्षों में 1.04 लाख करो़ड़ रुपये किसानों को भुगतान किए गए हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘यह कोई गोपनीय बात नहीं है कि हमारी दीर्घकालिक नीति में 20 फीसदी के लक्ष्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। प्राथमिक चर्चा इस बात पर हो रही है कि चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाया जाए या एक ही लक्ष्य पर आगे बढ़ा जाए।’ इस्मा के महानिदेशक दीपक बलानी के अनुसार, ‘बीते वर्ष मिश्रण करीब 10-14 फीसदी था। हम इस साल करीब 19-20 फीसदी के लक्ष्य को प्राप्त कर चुके हैं। हम चीनी क्षेत्र से करीब 35 लाख टन का इस्तेमाल करने जा रहे हैं जो बीते साल के 21 लाख टन से अधिक है। यह हमारे 2030 के लक्ष्य से पांच साल पहले है।’