केंद्रीय एवं राज्य सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व वाली कंपनी नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) को हासिल करने की दौड़ में पिछडऩे के बाद नवीन जिंदल के स्वामित्व वाली कंपनी जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) की नजर राष्टï्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) और एनएमडीसी आयरल ऐंड स्टील प्लांट (एनआईएसपी) नगरनार पर है।
टाटा स्टील ने जनवरी के आखिर में जेएसपीएल, नालवा स्टील ऐंड पावर और सज्जन जिंदल की कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील का एक कंसोर्टियम बनाया था ताकि 12,100 करोड़ रुपये की बोली के तहत 11 लाख टन क्षमता के एनआईएनएल का अधिग्रहण किया जा सके। लेकिन जेएसपीएल की नजर वृद्धि के अन्य विकल्पों पर थी। हालांकि अधिग्रहण के मोर्चे पर वह आरआईएनएल और एनआईएसपी नगरनार के लिए बोली लगाने को उत्सुक है।
जेएसपीएल के प्रबंध निदेशक वीआर शर्मा ने कहा, ‘हमारी दिलचस्पी दोनों परिसंपत्तियों में है।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल इस संबंध में कोई बातचीत नहीं हुई है।
आरआईएनएल और एनआईएसपी की रणनीतिक बिक्री की उम्मीद है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 27 जनवरी 2021 को आरआईएनएल में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी के रणनीति विनिवेश संबंधी प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी। उससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनएमडीसी के इस्पात संयत्र को अलग करने और अलग की गई इस्पात कंपनी की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दी थी।
ये दो परिसंपत्तियां 11 लाख टन क्षमता वाली एनआईएनएल के मुकाबले बड़ी हैं। इनसे खरीदार की इस्पात उत्पादन क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होगी। आरआईएनएल की क्षमता 73 लाख टन है जबकि एनएमडीसी के इस्पात संयंत्र की क्षमता 30 लाख टन है। आरआईएनएल की खासियत यह है कि वह तटवर्ती संयंत्र है जिसके पास काफी भूमि मौजूद है। दूसरी ओर एनएमडीसी इस्पात संयंत्र लौह अयस्क क्षेत्र में है।
जेएसपीएल मुख्य तौर पर लॉन्ग स्टील उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करती है जिसका उपयोग निर्माण एवं रेलवे में होता है। आरआईएनएल भी ऐसी ही कंपनी है। लेकिन शर्मा ने कहा कि इससे कोई समस्या नहीं होगी और उत्पादन में फ्लैट उत्पादों को भी जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक बंदरगाह आधारित संयंत्र है। दूसरी ओर, एनएमडीसी संयंत्र फ्लैट उत्पादों से संबंधित है जिसका उपयोग वाहन एवं घरेलू अप्लायंसेज में होता है।
