जेबीएफ पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (जेपीएल) के भारतीय लेनदार नई बोली मांग रहे हैं क्योंकि महामारी के कारण कंपनी निवेशकों को आकर्षित करने में नाकाम रही। वैश्विक प्राइवेट इक्विटी दिग्गज केकेआर के 1,000 करोड़ रुपये निवेश वाली कंपनी को कर्ज समाधान के लिए एनसीएलटी भेजा गया क्योंकि कंपनी ने कर्ज भुगतान में चूक की।
बैंंकिंग सूत्र ने कहा, बीएसई में सूचीबद्ध जेबीएफ इंडस्ट्रीज की त्यागी गई सहायक जेपीएल के ऊपर लेनदारों का करीब 5,000 करोड़ रुपये बकाया है और उसकी कर्नाटक परियोजना के लिए उपयुक्त खरीदार की तलाश हो रही थी, जो पिछले कुछ सालों से अटकी हुई है।
एक सूत्र ने कहा, पिछले दौर में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मूल कंपनी की विदेशी परिसंपत्तियों व जेपीएल के अधिग्रहण में थोड़ी रुचि दिखाई थी लेकिन महामारी के कारण यह दिलचस्पी जाती रही।
सूत्रों ने कहा, जेपीएल के लेनदारों ने गिरवी शेयर भुनाए और अब बिक्री प्रक्रिया की अगुआई कर रही है। चटर्जी समूह और इंडो रामा ने भी पूरी जेबीजी इंडस्ट्रीज की जांच परख की थी, लेकिन बाद में हाथ खींच लिए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पेरेंट कंपनी यानी मूल कंपनी में 22 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने वाली केकेआर इस बिक्री प्रक्रिया की अगुआई कर रही थी, लेकिन कर्ज समाधान के लिए एक लेनदार ने एनसीएलटी का रुख कर लिया। मूल कंपनी को अब एक लेनदार ने इरादतन चूककर्ता घोषित कर दिया है।
कंपनी के अंकेक्षकों ने अनिश्चितता का संकेत दिया था, जो कंपनी के चालू हालत में रहने की क्षमता को लेकर काफी संदेह पैदा कर सकता है।
जेबीएफ इंडस्ट्रीज की स्थापना 1982 में यार्न टेक्सचरिंग कंपनी के तौर पर हुई थी और बाद में उसने बैकवार्ड इंटिग्रेशन शुरू किया और पॉलिएस्टर वैल्यू चेन में क्षमता का विस्तार किया।
कर्ज के दम पर जेबीएफ ने अपनी क्षमता का विस्तार किया और 10 अग्रणी पॉलिएस्टर टेराफ्थिलिन (पीईटी) चिप्स उत्पादक व वैश्विक स्तर पर वैबीओपीईटी फर्म के तौर पर उभरी।
एकल आधार पर जेबीएफ पॉलिएस्टर चिप्स कंपनी है। देसी बाजार में खुद के स्थापित करने वाली कंपनी जेबीएफ ने साल 2008 में पीईटी चिप्स व बीओपीईटी फिल्म्स प्लांट यूएसए में स्थापित कर विदेशी बाजारों में प्रवेश किया।
साल 2014 में उसने बहरीन में बीओपीईटी फिल्म्स प्लांट लगाया और बेल्जियम में 12.5 लाख मीट्रिक टन सालाना क्षमता वाला बोटल ग्रेड पीईटी चिप्स प्लांट लगाया। लेकिन साल 2017 में उसने नकदी प्रवाह के बेमेल के कारण अवरोध का सामना करना शुरू किया क्योंकि उसे विदेशी परिचालन में नुकसान हुआ क्योंकि कर्ज में काफी बढ़ोतरी हो गई। साल 2018 में उसने कर्ज भुगतान में चूक की और उसे एनसीएलटी भेज दिया गया। तब से मामला वहां लंबित है।
अगस्त 2018 में केकेआर ने ऐलान किया था कि वह जेपीएल की हिस्सेदारी खरीदेगी, लेकिन सौदा आगे नहीं बढ़ पाया।